- मित्रता में स्वार्थ नहीं समर्पण होना चाहिए-कथा व्यास पंडित राघवेन्द्राचार्य महाराज
रविवार को विश्राम दिवस के मौके पर कथा व्यास पंडित राघवेन्द्राचार्य न राजा परीक्षित संवाद, शुकदेव जन्म, कपिल संवाद का प्रसंग सुनाया। शुकदेव परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वनों में काफी दूर चले गए। उनको प्यास लगी, पास में समीक ऋषि के आश्रम में पहुंचे और बोले ऋषिवर मुझे पानी पिला दो मुझे प्यास लगी है, लेकिन समीक ऋषि समाधि में थे, इसलिए पानी नहीं पिला सके। परीक्षित ने सोचा कि इसने मेरा अपमान किया है मुझे भी इसका अपमान करना चाहिए। उसने पास में से एक मरा हुआ सर्प उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया। यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने नदी का जल हाथ में लेकर शाप दे डाला जिसने मेरे पिता का अपमान किया है आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प पक्षी आएगा और उसे जलाकर भस्म कर देगा। समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित है और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है। देवयोग वश परीक्षित ने आज वही मुकुट पहन रखा था। समीक ऋषि ने यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प पक्षी तुम्हें जलाकर नष्ट कर देगा। यह सुनकर परीक्षित महाराज दुखी नहीं हुए और अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां पर बड़े बड़े ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत मे व्यास नंदन शुकदेव वहां पर पहुंचे। शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर शुकदेव का स्वागत किया। शुकदेव इस संसार में भागवत का ज्ञान देने के लिए ही प्रकट हुए हैं।
भव्य भंडारे का आयोजन
इस संबंध में जानकारी देते हुए पंडित जितेन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि रविवार को सात दिवसीय भागवत कथा के विश्राम दिवस के मौके पर आरती हवन और भंडारे का आयोजन किया गया था। इस मौके पर कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा, विधायक सुदेश राय, नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर, सीताराम यादव, जिला संस्कार मंच के संयोजक जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, यजमान अशोक गोयल, मधु गोयल आदि ने आरती की।

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