बूढ़े हो या जवान,
क्यों है नशे के गुलाम?
इतनी हानियां पता होकर भी,
क्यों अपना घर उजाड़ने चले हो?
मां-पिता, भाई और बहन को छोड़,
क्यों जिंदगी को मौत के हवाले कर रहे हो?
तुम हो तो तुम्हारा घर तुम्हारा परिवार है,
इसी से तुम्हारा जीवन और संसार है,
इसे तुम नशे में यूं बर्बाद न करो,
गांव घरों के रास्तों पर देखो,
अपने घर से बेघर क्यों ऐसे पड़े हो?
नशे में रहकर अपनी जिंदगी को,
क्यों तुम नर्क बना रहे हो?
जिंदगी एक बार मिलती है,
इस नशे में खत्म ना करो,
अपने जीवन के सुनकर पल का सोचो,
आने वाले कल को सुखी बनाने की सोचो।।
तानिया आर्य
चोरसौ, गरुड़
उत्तराखंड
चरखा फीचर्स
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