पटना : जनता की लंबित मांगें पूरा करने का सवाल बिहार की राजनीति का केंद्रीय एजेंडा बना दें : दीपंकर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 20 जनवरी 2025

पटना : जनता की लंबित मांगें पूरा करने का सवाल बिहार की राजनीति का केंद्रीय एजेंडा बना दें : दीपंकर

  • 9 मार्च को आयोजित ‘बदलो बिहार महाजुटान’ में सभी संघर्षशील ताकतों की भागीदारी की अपील
  • नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा दरअसल आतंक यात्रा, सरकार बनाम जनता की लड़ाई में हम हैं माध्यम

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पटना 20 जनवरी (रजनीश के झा)। पटना में आज माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया गया. उनके साथ पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा, अमर, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी और वरिष्ठ नेता केडी यादव उपस्थित थे. भाजपा बिहार की सत्ता पर कब्जा को बेचैन है. बिहार के सामने चुनौती यह है कि संविधान व लोकतंत्र बचाने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव और खुद 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जो कमी रह गई थी, उसे इस बार पूरा कर देना है. संविधान-लोकतंत्र व आजादी पर खतरे के खिलाफ जारी देशव्यापी प्रतिवाद में बिहार को अग्रिम मोर्चे पर खड़ा होना होगा. पूरे देश की नजर बिहार पर है.


हम जब बदलाव की बात कहते हैं, तो केवल सत्ता व सरकार में बदलाव नहीं, बल्कि जनता के विभिन्न तबकों, संघर्षशील ताकतों और आम नागरिकों के बुनियादी सवालों को बिहार की राजनीति का केंद्रीय एजेंडा बना देने और जनपक्षीय नीतियों की दिशा में बिहार को आगे बढ़ाने का आह्वान है. इसी उद्देश्य से 9 मार्च को गांधी मैदान में ‘बदलो बिहार महाजुटान’ हो रहा है. हम राज्य की सभी संघर्षशील ताकतों से इसे ऐतिहासिक बनाने की अपील करते हैं. बिहार के लिए एजेंडा तय हो, बुनियादी मुद्दों से भटकाने के प्रयासों को सफल नहीं होने दें. भा.ज.पा.-संघ द्वारा देश के संविधान और लोकतंत्र पर लगातार किए जा रहे हमलों की कड़ी में संघ प्रमुख द्वारा देश की आजादी को नकारने और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई. संविधान व देश के गणतंत्र की रक्षा के संकल्प के साथ और संविधान प्रदत्त अधिकारों के जरिए फासीवादी ताकतों को मुकम्मल तौर पर शिकस्त देना होगा. भाकपा-माले द्वारा चलाए जा रहे संविधान बचाओ अभियान के तहत पूरे राज्य में 26 जनवरी को तिरंगा मार्च में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाएं. नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा दरअसल आतंक यात्रा है. जनता की आवाज नहीं सुनी जा रही है. माले कार्यकर्ताओं, छात्र-नौजवानों पर दमन अभियान चल रहा है. हमारे कार्यालयों पर छापे पड़ रहे हैं. यह घोर तानाशाही का परिचायक है. सरकार बनाम जनता की लड़ाई में हम माध्यम का काम करते रहेंगे. पुरानी राजशाही का दौर नहीं आने वाला.


पूरे देश में जाति गणना हो. बिहार ने इसकी शुरूआत की थी. इसके आलोक में दलितों-पिछड़ों के बढ़ाए गए 65 प्रतिशत आरक्षण को भाजपा-जदयू क्यों नहीं संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल कर रही है? सभी 94 लाख महागरीब परिवारों को सरकार 2 लाख रु. की सहायता राशि दे. गरीबों के लिए आवास भूमि, पक्का मकान, फ्री बिजली, स्कीम वर्करों के लिए न्यूनतम मानदेय, शिक्षा-रोजगार ये सभी जनता के मुद्दे हैं. सरकार इन सवालों से भाग नहीं सकती. चुनाव में धांधली केवल चुनाव के दिन नहीं होती. दिल्ली से रिपोर्ट आ रही है कि मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से छांटे जा रहे हैं और फर्जी मतदाताओं के नाम व्यापक पैमाने पर जोड़े जा रहे हैं. इसलिए मतदाता सूची में अपने नाम को लेकर सतर्क व सावधान रहंे. हरेक नागरिक को वोट देने का अधिकार है. इसकी सुरक्षा की गारंटी करें. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और उसके द्वारा तथाकथित घुसपैठियों को देश से बाहर निकाल देने का ऐलान भारत व पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. यह अमेरिका से भारतीयों को भगाने का तरीका है. जिस प्रकार मोदी सरकार भारत में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाकर विभाजन की राजनीति करती है उसी प्रकार अमेरिका भारतीयों को लेकर कर रही है. यह नस्लवाद व असुरक्षित माहौल बेहद चिंताजनक है। दीपंकर भट्टाचार्य ने भारत की विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स बैठक में डॉलर के दबाव को कम करने के लिए वैकल्पिक करेंसी की आवश्यकता जताई थी, लेकिन अमेरिका के दबाव में उन्होंने इस पर पीछे हटने का फैसला लिया. उन्होंने भारत की विदेश को अमेरिका और इजरायल का पिछलग्गू बना दिया है. अब रूस से तेल का आयात नहीं हो सकता. यह भारत के आर्थिक व व्यापारिक तथा राष्ट्रीय हितों के लिए खतरे की घंटी है. संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से माले नेताओं ने बिहार और देश की राजनीति में कई अहम मुद्दों को उजागर किया. उन्होंने बिहार की जनता से संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए संघर्ष को व्यापक बनाने की अपील की. जनता के बुनियादी सवालों को राजनीति का केंद्रीय एजेंडा बनाना होगा, ताकि राज्य में सकारात्मक बदलाव संभव हो सके.

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