- राम कथा सुनने से मनुष्य के पापों का नाश होता है, वह धर्म के मार्ग पर चल पड़ता है : बाबू दास वैष्णव
राम-सीता विवाह प्रसंग सुनकर श्रद्धालु हुए भावविभोर
कथा वाचक बाबू दास वैष्णव ने श्री राम-सीता के विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। उसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी राजा- महाराजा को विवाह के लिए निमंत्रण भेजा। वहां आए सभी लोगों ने एक-एक कर धनुष को उठाने की कोशिश की, लेकिन किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्री राम धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। माता सीता ने जैसे प्रभु राम को वर माला डाली वैसे ही देवतागण उन पर फूलों की वर्षा करने लगे।
इसलिए हुआ राम को वनवास
राम वनवास के बारे में बताया कि मां कैकेयी के दो वरदान प्रथम भरत को राजतिलक दूसरे राम को 14 वर्ष का वनवास। जिनके कारण मां कैकेयी को आज भी लोग घृणा की दृष्टि से देखते है पर मां कैकेयी का त्याग था ये कि जब तक बाली और रावण की सत्ता रहेगी तब तक राम राज्य नहीं होगा। आप वन जाओ बाली और रावण की सत्ता को खत्म करो और राम ने वही किया। तब रामराज्य की स्थापना हुई।
कथा का आज होगा समापन
बाली और रावण वध के साथ भगवान राम के राजतिलक के साथ श्री राम मंदिर पर चल रही सात दिवसीय संगीतमय राम कथा का समापन किया जागएा। समापन अवसर पर मंडी क्षेत्र के प्रमुख मार्गों से चल समारोह निकला जाएगा। भगवान राम की आरती के बाद प्रसाद वितरण के साथ कथा का समापन किया जाएगा।

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