सीहोर : राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष में संगोष्ठी का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 24 जनवरी 2025

सीहोर : राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष में संगोष्ठी का आयोजन

  • 28 जनवरी को किया जाएगा सम्मान, 10 बालिकाओं को किया जाएगा पुरस्कृत

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सीहोर। महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से साल 2015 में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की शुरुआत हुई थी। दरअसल सरकार का 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओÓ अभियान काफी सफल रहा है। ऐसे अभियान लोगों की मानसिकता को बदलते हैं और आज राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का भी आधार यही है। लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, लिंगानुपात, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर आज के दिन ही नहीं बल्कि हर दिन लोगों को विचार करना चाहिए। लड़कियों को भी समान अधिकार दिए जाने चाहिए। उक्त विचाार शहर के चाणक्यपुरी स्थित एसजीएम कालेज में प्रियल वेलफेयर फाउंडेशन और जिला संस्कार मंच के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में यहां पर बड़ी संख्या में बालिकाओं को संबोधित करते हुए फाउंडेशन के संचालक हिमांशु निगम ने कहे। इस मौके पर विशेष अतिथि मंच के संयोजक मनोज दीक्षित मामा, राहुल सिंह, पंडित कुणाल व्यास, धर्मेन्द्र माहेश्वरी, विक्रम, मनीष परमार, सुरभि विश्वकर्मा, दीपाली सारस्वत, श्रद्धा सोनी, सोमिया राय, अंजू वर्मा और प्रदीप विश्वकर्मा आदि ने यहां पर आधा दर्जन से अधिक बालिकाओं का सम्मान किया। मंच के संयोजक श्री दीक्षित ने कहा कि बेटियां देश का भविष्य है तथा उनसे देश की समृद्धि तय होती है। राष्ट्र की प्रगति प्रशिक्षित और शिक्षित माताओं के बिना असंभव है। बेटियों को पढ़ाओ-आगे बढ़ाओ, तभी देश खुशहाल होगा। भारत विकासशील से विकसित देश की तरफ बढ़ रहा है। आज देश की बेटियों की हर क्षेत्र में हिस्सेदारी है। कारण है कि लड़कियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर समाज में अपने अधिकारों और सम्मान को हासिल कर रही हैं।


लड़कियों की शिक्षा जरूरी

उन्होंने कहा कि लड़कियों के पास प्रत्येक क्षेत्र में अपने देश का नेतृत्व करने की क्षमता है। भारत को सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित करने के लिए लड़कियों की शिक्षा जरूरी है। शिक्षित महिलाओं ने पेशेवर क्षेत्रों जैसे चिकित्सा, रक्षा सेवाओं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान से भारतीय समाज को मजबूत कर रही है। यह लड़कियों की शिक्षा का ही नतीजा है। उन्होंने कहा कि सब चाहते हैं बहू पढ़ी-लिखी मिले लेकिन बेटियों को पढ़ाने के लिए हम तैयार नहीं होते हैं। यदि हम बेटी को पढ़ा नहीं सकते तो शिक्षित बहू की उम्मीद करना बेमानी है। हम देश की महिलाओं को शिक्षित किए बिना एक विकसित राष्ट्र नहीं बना सकते। इसलिए बालिकाओं को शिक्षा में बराबर मौका दिया जाना चाहिए और उन्हें किसी भी विकास के अवसरों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। 

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