- 2 मार्च को पटना के गांधी मैदान में जन आंदोलनों की ताकतों का होगा ऐतिहासिक जुटान
- सीमांचल की पदयात्रा के बाद पटना लौटे दीपंकर भट्टाचार्य, गरीबी-पलायन-बेराजगारी का दर्द और हुआ तीखा
सीमांचल और बिहार के हालात में बदलाव की लड़ाई
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि सीमांचल में पिछड़ापन और गरीबी और बढ़ी है। पलायन, बिना मुआवजे के किसानों की जमीन का अधिग्रहण, और मकानों पर बुलडोजर की घटनाएं ही राज्य की आज की सच्चाई है। 100 किलोमीटर की पदयात्रा में समाज के विभिन्न हिस्सों के लोग शामिल हुए। लोग कर्ज में डूबे हुए हैं, और यह कर्ज अब भारी परेशानी का सबब बन रहा है। लोग चाहते हैं कि बिहार में बदलाव हो। केवल सरकार ही नहीं, बल्कि इस पूरे हालात को बदलने की जरूरत है। उन्होंने बिहार में बढ़ते पुलिस राज पर सवाल उठाया। कहा कि नारा तो सुशासन का था, लेकिन अब बिहार पुलिस राज में बदलता जा रहा है। मधुबनी में इमाम मो. फिरोज के साथ जो हुआ, मुजफ्फरपुर के कांटी में शिवम झा की पुलिस कस्टडी में हत्या - ये घटनाएं साबित करती हैं कि बिहार में पुलिस राज चल रहा है। अफसरशाही बढ़ गई है, और विकास के नाम पर गरीबी और बेरोजगारी बढ़ रही है। नीतीश जी अफसरों और कुछ नेताओं से घिरे रहते हैं। जनता की किसी भी समस्या से उनको लेना देना नहीं रह गया है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट ने देश की आम जनता और बिहार को धोखा दिया है। 12 लाख रुपये तक की कमाई पर इनकम टैक्स में छूट देने का दावा किया गया है, लेकिन बिहार जैसे राज्य में कितने लोग महीने में एक लाख रुपये कमाते हैं? आंकड़े बताते हैं कि देश में ऐसे केवल 5 प्रतिशत होंगे। बिहार में और भी कम हैं। बाकी 95 प्रतिशत लोग गायब हैं। मनरेगा, स्कीम वर्कर, और अनुबंध पर काम करने वाले लोगों की चिंता बजट में कहीं है ही नहीं। उन्होंने मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थिति पर भी सवाल उठाया और कहा कि मखाना अनुसंधान केंद्र पहले भी था, लेकिन कोई ठोस विकास नहीं हुआ। आज वहां गेहूं की खेती हो रही है। मक्का का उत्पादन जरूर बढ़ा है, लेकिन किसानों को सही रेट नहीं मिल रहा है। बिहार में फैक्ट्रियों का अभाव है। फैक्ट्रियां तो हरियाणा और गुजरात में हैं। बजट में सिर्फ धोखा हुआ। माले महासचिव ने कहा कि बिहार का चुनाव जनता के असली मुद्दों पर हो। दिल्ली चुनाव में हिंसा हुई और वोटर लिस्ट में हेराफेरी की गई। अब बिहार का चुनाव है, और हमें यह सुनिश्चित करना है कि चुनावी मुद्दे हिंदू-मुसलमान की राजनीति से हटकर रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, किसानों की जमीन और बेरोजगारी जैसे असली मुद्दों पर आधारित हों। उन्होंने कहा कि बिहार को बदलने वाली जनांदोलन की सभी ताकतें 2 मार्च को पटना के गांधी मैदान में जुटेंगी और एक ऐतिहासिक रैली होगी। यह रैली बिहार के असली मुद्दों को सामने लाएगी और बिहार के भविष्य के लिए एक निर्णायक कदम साबित होगी।

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