शायरी में प्रेम और इश्क़ के प्रभाव पर बात करते हुए इक़बाल अशहर ने स्वीकार किया कि उन्हें भी कई बार इश्क़ हुआ है। उन्होंने कहा, "शायर का इश्क़ सिर्फ वास्तविक नहीं, बल्कि कल्पनाओं से भी जुड़ा होता है। अक्सर शायरों को एकतरफा इश्क़ होता है, और उनकी शायरी में वही भावनाएँ झलकती हैं।" कार्यक्रम के दौरान इक़बाल अशहर से यह भी पूछा गया कि क्या कभी ऐसा हुआ है जब श्रोताओं ने उनकी शायरी को नकार दिया हो। इस पर उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया, "ऐसा कई बार हुआ है और आगे भी हो सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि मैं 'डिमांड शायरी' नहीं करता।" अंत में इक़बाल साहब में श्रोताओं के लिए कुछ कलाम भी पढ़े। यह चर्चा उर्दू भाषा और शायरी प्रेमियों के लिए एक ज्ञानवर्धक अनुभव रही, जिसमें समकालीन साहित्यिक प्रवृत्तियों पर महत्त्वपूर्ण विचार साझा किए गए। अंत में मीरा जौहरी ने आभार व्यक्त किया।
दिल्ली (रजनीश के झा)। विश्व पुस्तक मेले में मंगलवार को प्रख्यात शायर इक़बाल अशहर और लेखक शायर इरशाद खान 'सिकंदर' के बीच उनकी पुस्तक 'उर्दू है मेरा नाम' को लेकर रोचक संवाद हुआ। इस चर्चा में मुशायरों और प्रकाशित शायरों के बीच के अंतर सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। इरशाद खान ने सवाल उठाया कि क्या किताबों में छपने वाले शायर और मुशायरों में शिरकत करने वाले शायरों में कोई अंतर है? इस पर इक़बाल अशहर ने कहा कि पहले यह दोनों एक ही व्यक्ति हुआ करते थे, लेकिन अब दोनों के बीच एक खाई सी बन गई है। उन्होंने कहा, "आजकल मुशायरे भीड़ जुटाने का जरिया बन गए हैं, जबकि होना यह चाहिए कि जिन शायरों की पुस्तकें प्रकाशित हो रही हैं, उन्हीं को मुशायरों में भी स्थान मिलना चाहिए।"

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