- फूडरा के ग्रामीणों ने लगाया आरोप दूसरी हुआ सर्वे फिर भी नहीं जोड़ा विस्थावितों की सूची में नाम
कलेक्ट्रेट पहुंचकर डूब में आ रहे फूडरा के ग्रामीणों ने कलेक्टर बालागुरू के को ज्ञापन देकर बताया की हमारे मकानों का पूर्व में विस्थापन के लिए सर्वे किया गया था जिस में 40 मकानों को शामिल किया गया था। लेकिन विस्थापन और मुआवजा सूची में क्षेत्र के लगभग 15 ग्रामीणों के नाम ही नही है। अनेक मकान एैसे भी है जिन में आने जाने का रास्ता ही जलाशाय के डूब क्षेत्र में आ गया है। ग्रामीणों के लिए यह मकान भी बेकार हीं हो गए है। कृषि भूमि का मुआवजा भी काफी कम दिया गया है। जबकी मकानों में खेती किसानों के लिए उपयोगी उपकरणों के रखने, पशुओं को पालने, चारा रखने और रहने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध है। इस के बावजूद सर्वे से इन मकानों को बाहर कर दिया गया है इस कारण ग्रामीणों में भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है। ग्रामीणों की कृषि भूमि भी डूब में चली गई है। अब ग्रामीणों के पास अन्य कोई भूमि भी नहीं है जिस से वह रहने के लिए मकान बना सके। इधर केशवपुर के ग्रामीणों के सभी मकानों को सूची में मुआवजा और विस्थापन योजना के लिए चिंहित किया गया है। जबकी विजेंद्र सिंह पिता हरिनाथ सिंह प्रेम सिह पिता लालजीराम, कमलसिंह पिता लालजीराम, राजेंद्र सिंह ओमप्रकाश पिता हरिनारायण, राजेंद्र सिंह पिता मान सिंह, स कीर खा पिता रहीम खा. शौकीन खा धर्मेंद्र सिंह पिता दिलीप सिंह के मकानों को पहले सूची में शामिल किया गया था सभी किसानों के मकानों पर सर्व टीम के द्वारा मार्किंग नम्बर भी डाले गए थे लेकिन फिर सूची से नाम हटा दिए गए है इन सभी मकान मालिकों के नाम मुआवजा राशि और विस्थापन भूमि आवंटन योजना में शामिल कराए जाने की मांग की गई। ज्ञापन देने वालों में पीडि़त किसान ज्ञान सिंह,विजेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, कोकसिंह, भादर सिंह, प्रेम नारायण, कमल सिंह, राजेंद्र सिंह, सौभाल सिंह,कृपाल सिंह मानू बाई,ओम प्रकाश,राजेंद्र सिंह, शाकिर खां,शोकिन खां, संतोष सिंह, गोविंद आदि शामिल रहे।

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