आलेख : उजियारे की आस में गांव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 6 मार्च 2025

आलेख : उजियारे की आस में गांव

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हमारे देश में आज भी गांव और शहर के बीच बहुत बड़ा अंतर है. सुख सुविधाओं के मामले में अगर शहर अच्छा है तो गांव का वातावरण शहर की तुलना में बेहतर नज़र आता है. लेकिन बात जब बुनियादी सुविधाओं की आती है तो यही गांव शहर से काफी पीछे नज़र आता है. हालांकि शहर के करीब आबाद गांवों तक ऐसी सुविधाएं फिर भी पहुंच जाती हैं लेकिन आज भी देश के कई ऐसे दूर दराज़ के ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां बुनियादी सुविधाओं का या तो पूरी तरह से अभाव है या फिर बहुत कम देखने को मिलता है. इन बुनियादी आवश्यकताओं में बिजली प्रमुख है. जिसके बिना आज जीवन मुश्किल नजर आता है. लेकिन राजस्थान के बीकानेर जिला स्थित लूणकरणसर ब्लॉक का राजपुरा हुडान गांव इसी बुनियादी कमी से जूझ रहा है. दरअसल, बीकानेर के ग्रामीण अंचलों में बिजली की समस्या लंबे समय से चली आ रही है. गांवों में उगते सूरज की सुनहरी किरणें जब खेतों को छूती हैं, तब किसानों की उम्मीदें भी जगती हैं, लेकिन जैसे-जैसे सूरज ढलता है, अंधेरा केवल राजपुरा हुडान गांव के आसमान में ही नहीं, बल्कि उनके रोज़मर्रा के जीवन में भी उतर आता है. बिजली की कमी ने इस गांव की प्रगति को जैसे रोक दिया हो, इससे केवल ग्रामीण जीवन ही प्रभावित नहीं हो रहा है, बल्कि कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन-यापन के सभी पहलू प्रभावित हो रहे हैं. 


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इस संबंध में गांव के 55 वर्षीय आत्माराम, जो खेती किसानी करते हैं, कहते हैं कि "हमारे जीवन का एकमात्र आधार कृषि और पशुपालन है, लेकिन बिजली की अनियमित आपूर्ति ने इसे बुरी तरह प्रभावित किया है. खेतों की सिंचाई के लिए मोटरों का उपयोग किया जाता है, लेकिन बिजली की अनुपलब्धता से हम किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. पानी के अभाव में फसलें सूखने लगती हैं, जिससे हमारी मेहनत पर पानी फिर जाता है." वह कहते हैं कि 'बिजली नहीं होने से हमारी फसलें खराब हो जाती हैं, और हमें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है. अगर बिजली नियमित रूप से मिले, तो हमारी मेहनत सफल हो सकती है. वहीं दूसरी ओर मवेशियों को पानी पिलाने में भी कठिनाइयां आती हैं. बिजली की कमी का असर केवल खेती किसानी पर ही नहीं, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. विद्यार्थी रात में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित होती है. डिजिटल शिक्षा के इस युग में जहां बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से लाभ उठा सकते हैं, वहीं राजपुरा हुडान गांव में बिजली की कमी इस संभावना को सीमित कर रही है. आंगनबाड़ी में पढ़ने आने वाले छोटे बच्चे भी गर्मी और सुविधाओं के अभाव में परेशान रहते हैं. इस संबंध में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तीजा बाई बताती हैं, "गर्मी के दिनों में बिजली की समस्या के कारण बच्चों की पढ़ाई में बाधा आती है. वह केंद्र में आना नहीं चाहते हैं. अगर सही व्यवस्था हो जाए, तो इन बच्चों का भविष्य संवर सकता है." 


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वहीं गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति भी बिजली की कमी के कारण दयनीय बनी हुई है. चिकित्सा उपकरणों को चलाने के लिए बिजली आवश्यक होती है, लेकिन इसकी कमी के कारण कई बार मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ती है. यहां कार्यरत निर्मला सारस्वत कहती हैं कि "जैसे जैसे गर्मी बढ़ेगी, बिजली नहीं होने से स्वास्थ्य केंद्र की समस्या भी बढ़ती जाएगी. सबसे अधिक दिक्कत यहां लगे वाटर प्यूरीफायर की हो जाती है. जो बिजली नहीं होने से काम करना बंद कर देता है." बिजली और पानी की समस्या ने गांव वासियों को अपनी जन्मभूमि छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. रोजगार के अवसरों की कमी और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं. इस संबंध में खेता देवी, जो 45 वर्ष की हैं, बताती हैं, "हमने कई बार इस समस्या के लिए उचित मंचों से आवाज़ भी उठाई, लेकिन अभी तक इसका स्थाई समाधान नहीं निकला है. बिजली और पानी के बिना लोग गांव में कैसे रह सकते हैं? इसी मजबूरी में वह शहर की ओर पलायन करने लगे हैं." वह कहती हैं कि यह समस्या केवल राजपुरा हुडान गांव की नहीं, बल्कि आसपास के कई गांव इस संकट से जूझ रहे हैं. 28 वर्षीय हेमलता जो एक गृहणी हैं, कहती हैं कि "बिजली नहीं होने से मेरा काम ज़्यादा बढ़ जाता है. घर के काम के अतिरिक्त पानी के लिए बाहर जाना पड़ता है. हालांकि घर में मोटर पंप है लेकिन जब बिजली ही नहीं होगी तो वह कैसे चलेगा?"


बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं किसी भी गांव या क्षेत्र के विकास की नींव होती है. यदि इनका उचित प्रबंध किया जाए, तो ग्रामीणों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जा सकता है. गांव में बिजली की उपलब्धता से न केवल खेतों में हरियाली आएगी, बल्कि बच्चों के भविष्य में भी उजाला होगा. वहीं स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार होगा, जिससे पलायन की समस्या पर काबू पाया जा सकता है. यह केवल बिजली की समस्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसे जोड़ने की जरूरत है. इस संकट से निपटने के लिए सौर ऊर्जा एक बेहतरीन समाधान हो सकता है. राजस्थान के कई गांवों में सौर ऊर्जा प्रणालियाँ लगाई गई है, जिससे वहां बिजली की स्थिति में सुधार हुआ है. यदि राजपुरा हुडान और इसके जैसे अन्य गांवों में भी इसे स्थापित किया जाए, तो बिजली की समस्या काफी हद तक हल हो सकती है. इसके लिए स्थानीय संगठनों और ग्रामीणों को इस दिशा में साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है. जिससे बिजली और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. गांव के अंधेरे को दूर करने और उजियारे की आस को पूरा करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की ज़रूरत है, ताकि हर घर में रोशनी फैले और गांव में विकास की लौ जले.





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कविता शर्मा

लूणकरणसर, राजस्थान

चरखा फीचर 

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