- 15 लाख स्क्वायर फीट में डोम, पंडाल और टेंट लगाए थे, पंडाल पड़े छोटे, कथा में लाखों श्रद्धालु पहुंचे
- सात दिन में आधुनिक भोजनशाला के अलावा शहर के रेलवे स्टेशन आदि पर 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के भोजन की व्यवस्था
उन्होंने कहा कि भगवान शिव बहुत ही भोले हैं। आप स्वच्छ मन से याद करेंगे, तो ही हो प्रसन्न हो जाते हैं। आप पूजा पाठ भी नहीं करेंगे, लेकिन मन सुदंर है तो वह प्रसन्न हो जाते हैं। देवो के देव महादेव भगवान शंकर को औघड़दानी कहा जाता है। वह सबको साथ लेकर चलते हैं। वह व्यक्ति के मन की पवित्र व सुंदर सोच से ही प्रसन्न हो जाते हैं। सोमवार को अंतिम दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने संगीतमय कथा प्रारंभ की पंडाल भगवान भोले के जयकारों से गूंज उठा। परिसर के 55 एकड़ से अधिक मैदान में 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था के लिए डोम और पंडाल लगाए थे, इसके बाद भी पंडालों के बाहर भी लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ मौजूद थी, हर कोई श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ गुरुदेव के भजनों लगा लो गिरा जा रहा हूं उठा लो उठा लो, हम सबके कल्याण कर दे भोले बाबा, हर मुश्किल आसान कर दे भोले बाबा, ये दुनिया वाले जलते हैं भोले बाबा के भरोसे चलते हैं, श्री शिवाय नमुस्तभ्यं आदि भजनों की प्रस्तुति उपस्थित श्रोता जमकर झूमें। सभी पंडाल पूरी तरह से भरे हुए थे और पंडालों के बाहर भी लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ मौजूद थी। तीन डोम के अलावा दो दर्जन अलग-अलग टेंट बनाए गए हैं। आधा दर्जन गेटों से श्रद्धालुओं का प्रवेश रखा गया है। 100 एकड़ क्षेत्र में एक दर्जन पार्किंग तैयार की गई थी।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें