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शिव प्रदोष सेवा समिति के मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि मंत्रों की शक्तियां न सिर्फ हमारा मनोबल बढ़ाती हैं बल्कि हमारे मनोरथ भी पूर्ण करती हैं। भगवान राम ने रावण से युद्ध के पहले शिव स्तुति की थी। रावण शिव भक्त था और भगवान राम ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की और उनकी पूजा की। उन्होंने बताया कि दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष अध्यात्मिक महत्व है. दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्यायों से पहले तीन प्रथम अंगों- कवच, अर्गला और कीलक स्तोत्र का भी पाठ किया जाता है। कवच का अर्थ है, सुरक्षा घेरा इसमें देवी की वह अमोघ शक्तियां हैं, जिनका स्मरण करने मात्र से मनोवैज्ञानिक तरीके से लाभ होता है। इसको विज्ञान भी मानता है कि हम जब सकारात्मक सोचते हैं और यह अनुभव करने लगते हैं कि हम ठीक हो रहे हैं तो उसका बहुत प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। संसार के अठारह पुराणों में से सबसे शक्तिशाली पुराण मार्कंडेय पुराण का हिस्सा है। यह भगवती दुर्गा कवच एक तरह से दुर्गा माँ का पाठ है जो हमें साहस और हिम्मत प्रदान करता है और दुष्टों से हमारी रक्षा करता है। कहा जाता है कि माँ दुर्गा कवच को भगवान ब्रह्मा ने ऋषि मार्कंडेय को सुनाया था। इस कवच में कुल 47 श्लोक शामिल हैं। वही इन श्लोकों के अंत में 9 श्लोक फलश्रुति रूप में लिखित हैं। फलश्रुति का अर्थ है, ऐसा पाठ जिसे पढने या सुनने से भगवान का आशीर्वाद या फल प्राप्त हो।
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