सीहोर : आज से किया जाएगा दो दिवसीय अखंड रामायण का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 9 मई 2025

सीहोर : आज से किया जाएगा दो दिवसीय अखंड रामायण का आयोजन

  • श्रद्धालुओं ने किया दुर्गा सप्तशती का पाठ, भारतीय सैनिकों के लिए विजय श्री कामनाएं
  • सेना के लिए शुरू हुआ महायज्ञ, मंत्रों का किया जा रहा जाप

Akhand-ramayan-sehore
सीहोर। भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात के बीच भारतीय सैनिकों के लिए घरों, मंदिरों में यज्ञ हवन शुरू हो गए हैं। सैनिकों की सलामती और भारत का गौरव बढ़ाने के लिए मंत्रों का जाप कर रहे हैं। शहर के सीवन तट पर हनुमान मंदिर गोपालधाम में शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में एक माह तक आयोजित होने वाले शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान वैशाख महापर्व का आयोजन किया जा रहा है। वैशाख महापर्व के अंतर्गत अब पूर्णिमा तक दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ अखंड रामायण का आयोजन भी किया जाएगा। शुक्रवार को यज्ञाचार्य पंडित पवन व्यास, पंडित कुणाल व्यास और मनोज दीक्षित मामा सहित अन्य ने सेना के लिए महायज्ञ में मंत्रों के जाप के साथ आहुतियां देकर शीघ्र ही भारत की विजय की कामनाएं की। शुक्रवार को प्रदोष की कथा का आयोजन किया गया। अब शनिवार को मंदिर परिसर में क्षेत्र के विभिन्न मानस मंडलों के द्वारा अखंड रामायण का पाठ किया जाएगा।


शिव प्रदोष सेवा समिति के मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि मंत्रों की शक्तियां न सिर्फ हमारा मनोबल बढ़ाती हैं बल्कि हमारे मनोरथ भी पूर्ण करती हैं। भगवान राम ने रावण से युद्ध के पहले शिव स्तुति की थी। रावण शिव भक्त था और भगवान राम ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की और उनकी पूजा की। उन्होंने बताया कि दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष अध्यात्मिक महत्व है. दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्यायों से पहले तीन प्रथम अंगों- कवच, अर्गला और कीलक स्तोत्र का भी पाठ किया जाता है। कवच का अर्थ है, सुरक्षा घेरा इसमें देवी की वह अमोघ शक्तियां हैं, जिनका स्मरण करने मात्र से मनोवैज्ञानिक तरीके से लाभ होता है। इसको विज्ञान भी मानता है कि हम जब सकारात्मक सोचते हैं और यह अनुभव करने लगते हैं कि हम ठीक हो रहे हैं तो उसका बहुत प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। संसार के अठारह पुराणों में से सबसे शक्तिशाली पुराण मार्कंडेय पुराण का हिस्सा है। यह भगवती दुर्गा कवच एक तरह से दुर्गा माँ का पाठ है जो हमें साहस और हिम्मत प्रदान करता है और दुष्टों से हमारी रक्षा करता है। कहा जाता है कि माँ दुर्गा कवच को भगवान ब्रह्मा ने ऋषि मार्कंडेय को सुनाया था। इस कवच में कुल 47 श्लोक शामिल हैं। वही इन श्लोकों के अंत में 9 श्लोक फलश्रुति रूप में लिखित हैं। फलश्रुति का अर्थ है, ऐसा पाठ जिसे पढने या सुनने से भगवान का आशीर्वाद या फल प्राप्त हो। 

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