इस बैठक में 26 प्रशिक्षु वैज्ञानिकों सहित कुल 40 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिससे कृषि वैज्ञानिकों और भूजल विशेषज्ञों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिला। साथ ही, कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय भूजल बोर्ड के वैज्ञानिकों द्वारा भूगर्भीय सर्वेक्षण विधियों और मृदा जल-प्रवेशन परीक्षणों का जीवंत प्रदर्शन किया गया, जिसमें प्रशिक्षु वैज्ञानिकों को मृदा एवं भूजल गुणों के मूल्यांकन की व्यावहारिक तकनीकों को समझने का अवसर मिला। प्रक्षेत्र भ्रमण के बाद एक समन्वय बैठक का भी आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. कमल शर्मा (प्रमुख, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन प्रभाग), डॉ. उज्ज्वल कुमार (प्रमुख, सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार) एवं डॉ. अजय कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग) ने केंद्रीय भूजल बोर्ड के प्रशिक्षु वैज्ञानिकों के साथ संस्थान में संचालित अनुसंधान गतिविधियों की जानकारी साझा की। इस सत्र में मुख्यतः सतत भूजल प्रबंधन तथा कृषि विकास के लिए एकीकृत प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। इस कार्यक्रम का सफल समन्वयन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों; डॉ. अजय कुमार, डॉ. अकरम अहमद, डॉ. पवन जीत, डॉ. आरती कुमारी एवं डॉ. एस.के. अहीरवार तथा केंद्रीय भूजल बोर्ड, पटना के श्री आलोक सिन्हा एवं श्री सत्येन्द्र कुमार द्वारा किया गया। डॉ. अकरम अहमद, वैज्ञानिक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
पटना (रजनीश के झा)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में दिनांक 20 मई, 2025 को संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास के मार्गदर्शन में केंद्रीय भूजल बोर्ड, पटना के साथ एक समन्वय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें दोनों संस्थान के वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य कृषि में भूजल संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा देकर भूमि एवं जल उत्पादकता में वृद्धि करना था। कार्यक्रम में केंद्रीय भूजल बोर्ड, पटना के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. आर.आर. शुक्ला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर निदेशक डॉ. अनुप दास ने अपने संदेश में कहा कि " भारत के पूर्वी क्षेत्रों के लिए जलवायु परिवर्तन एवं भूजल दोहन के परिदृश्य में भूजल का कुशल उपयोग केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि सतत कृषि के लिए एक अनिवार्यता है। इस कार्यक्रम के दौरान डॉ. शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि "केंद्रीय भूजल बोर्ड के अधिकारियों एवं प्रशिक्षु वैज्ञानिकों का भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों के साथ यह संवाद भूजल प्रबंधन से संबंधित व्यावहारिक समाधानों के आदान-प्रदान का एक मूल्यवान मंच प्रदान करता है।" कार्यक्रम का शुभारंभ कृषि अनुसंधान परिसर, पटना के सबजपुरा फार्म के प्रक्षेत्र भ्रमण से हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय भूजल बोर्ड के प्रशिक्षु वैज्ञानिकों ने "जल के बहु-आयामी उपयोग मॉडल" का अवलोकन किया। भ्रमण का नेतृत्व भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग के प्रमुख, डॉ. आशुतोष उपाध्याय द्वारा किया गया, जिसमें उन्होंने बताया कि जल के बहु-आयामी उपयोग मॉडल तथा समेकित कृषि प्रणाली जैसे नवाचारी मॉडल, जल संसाधनों के बहुउद्देशीय उपयोग को बढ़ावा देते हैं, जिससे किसानों की आजीविका, कृषि उत्पादकता एवं जलवायु अनुकूलन क्षमता में उल्लेखनीय सुधार संभव है। डॉ. उपाध्याय ने यह भी रेखांकित किया कि सौर ऊर्जा आधारित माइक्रो सिंचाई, मृदा-जल मूल्यांकन तकनीकों तथा जल संरक्षण की उन्नत कृषि पद्धतियों जैसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित स्वचालित सिंचाई प्रणाली को अपनाना, संसाधनों के सतत उपयोग और भूमि की उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में अत्यंत आवश्यक कदम हैं।
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