दुनिया की नज़रों में ऊपर उठ जाऊँ,
बस इतना सा मैं कुछ कर जाऊँ,
अपने सपनों को साकार कर जाऊँ,
बस इतना सा कुछ कर जाऊँ,
आपने घर से दूर रहकर भी,
सफलता की सीढ़ियां चढ़ती जाऊं,
बस इतना सा कुछ कर जाऊँ,
अपने माता पिता का सहारा बन जाऊँ,
बस इतना सा कुछ कर जाऊँ,
क्यों दुनिया की नज़र में ऊंचा उठना है मुझे,
मैं आज तक समझ ना पाऊँ,
सरोज आर्य
चौरा, कपकोट
बागेश्वर, उत्तराखंड
चरखा फीचर्स

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें