आज की लड़की, आज की नारी हूँ मैं,
आगे बढ़ूँगी ये भी आज कहती हूँ मैं,
जब जब आगे बढ़ना चाहा,
ना जाने कौन कौन मुझे रोकने आया,
मुझे आगे बढ़ने नहीं दिया जाता,
बीच राह में पत्थर खड़ा किया जाता,
न जाने क्या क्या इल्जाम लगाया जाता,
बीच राह में ही मुझको रोका जाता,
पर मैं कहाँ हूँ रुकने वाली?
आगे बढ़कर मैंने भी उन्हें दिखाया है,
अब न कहो कि लड़कियां कमजोर हैं,
वह लड़कों से भी ज्यादा चट्टान हैं,
फिर न कहना लड़कियां कमजोर हैं।।
भगवती रावल
गरुड़, बागेश्वर
उत्तराखंड
चरखा फीचर्स

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