- प्रधानमंत्री के समक्ष किसानों की 7 सूत्री मांगें रखी जाएंगी
नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री बार-बार बिहार आते हैं, लेकिन किसानों की पुरानी और जायज़ मांगों को लगातार अनसुना कर रहे हैं। किसानों की 7 प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं: इंद्रपुरी जलाशय का निर्माण शीघ्र कराया जाए - यह सोन नहर क्षेत्र के किसानों की वर्षों पुरानी मांग है। सोन नहर प्रणाली का आधुनिकीकरण हो तथा नहरों के अंतिम छोर तक सिंचाई का पानी पहुंचे। दुर्गावती सिंचाई परियोजना, मलई बराज (मलियाबाग) और उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना को शीघ्र पूरा किया जाए। कुटकू डैम में जल्द फाटक लगाए जाएं। डालमियानगर के बंद पड़े उद्योगों को पुनः चालू किया जाए और वहां प्रस्तावित रेल कारखाने का निर्माण तुरंत शुरू किया जाए। भारत माला सड़क परियोजना और ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे के तहत अधिग्रहित भूमि के लिए किसानों को 2013 के कानून के अनुसार वर्तमान बाजार मूल्य का चार गुना मुआवज़ा दिया जाए। बिना उचित मुआवज़ा दिए कृषि भूमि का अधिग्रहण रोका जाए। कृषि कार्य हेतु मुफ्त बिजली प्रदान की जाए, स्मार्ट मीटर हटाए जाएं। कारपोरेट-हितैषी कृषि नीतियां वापस ली जाएं। सभी फसलों के लिए ब्2$50ः लागत आधारित एमएसपी की कानूनी गारंटी सुनिश्चित की जाए। बिहार में एपीएमसी कानून को पुनः लागू कर कृषि मंडियों को फिर से शुरू किया जाए। इसके अतिरिक्त, नेताओं ने यह भी मांग रखी कि कोरोना काल में बंद पड़ी ट्रेनों को पुनः चालू किया जाए, वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रेल सुविधाएं बहाल की जाएं, और आरा-रांची इंटरसिटी एक्सप्रेस का बिक्रमगंज में ठहराव सुनिश्चित किया जाए। नेताओं ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि वे इस बार किसानों की इन वास्तविक मांगों पर ठोस घोषणाएं करें, न कि केवल जुमलेबाज़ी करें।

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