- लोकतंत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मान
गौरतलब है कि संसद रत्न पुरस्कारों की स्थापना 2010 में प्राइम पॉइंट फाउंडेशन और ई-मैगजीन ‘प्रीसेंस’ द्वारा भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सुझाव पर की गई थी। डॉ. कलाम ने ही मई 2010 में चेन्नई में आयोजित पहले समारोह का उद्घाटन किया था। तब से लेकर अब तक 14 संस्करणों में कुल 125 पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं, जिनमें व्यक्तिगत सांसदों के साथ-साथ संसदीय स्थायी समितियों को भी सम्मानित किया गया है। इस पुरस्कार को देश की नागरिक समाज की ओर से दिया जाता है और यह भारतीय संसदीय प्रणाली में कार्यकुशल, जवाबदेह और सक्रिय जनप्रतिनिधियों की पहचान करता है।संसद रत्न पुरस्कार के लिए नामांकन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के अध्यक्ष श्री हंसराज गंगाराम अहीर की अध्यक्षता वाली जूरी समिति द्वारा किया जाता है। समिति में पूर्व पुरस्कार विजेता सांसद, सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि और संसदीय मामलों के जानकार शामिल होते हैं। नामांकन पूरी तरह से आधिकारिक प्रदर्शन डेटा के आधार पर किया जाता है, जो लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों तथा पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च से प्राप्त होता है। प्रमुख संकेतकों में सांसद द्वारा की गई बहसें, पेश किए गए निजी विधेयक और पूछे गए प्रश्नों की संख्या शामिल होती है। इस वर्ष लोकसभा और राज्यसभा के कुल 17 सांसदों और दो संसदीय स्थायी समितियों को नामांकित किया गया है। इनमें से चार विशेष पुरस्कार जूरी समिति द्वारा ‘विशेष उत्कृष्टता’ की श्रेणी में दिए जाएंगे।

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