डॉ. एस. के. भूइयाँ, उप निदेशक, KVIC, ने भी MSME क्षेत्र की योजनाओं, ऋण और प्रशिक्षण अवसरों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार सरकार युवाओं के विचारों को व्यवसायिक रूप देने में सहायता कर रही है। कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के इनक्यूबेशन सेंटर MIITIE (Mithila Institute of Inclusive Technological Innovation & Entrepreneurship) द्वारा किया गया, जो क्षेत्र में नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य कर रहा है। संस्थान के प्राचार्य डॉ. संदीप तिवारी ने कहा “DCE छात्रों को सिर्फ इंजीनियर नहीं बनाना चाहता, बल्कि उन्हें समाज के लिए उत्तरदायी, नवाचारी और आत्मनिर्भर नागरिक बनाना चाहता है। इस प्रकार के सत्र युवाओं में राष्ट्रनिर्माण की चेतना को जागृत करते हैं।” सत्र के अंत में छात्रों के साथ संवाद के दौरान कई प्रश्न पूछे गए, जिनमें स्टार्टअप फंडिंग, योजनाओं की जानकारी और तकनीकी नवाचार को लेकर गंभीर उत्साह देखा गया।
दरभंगा, 17 मई (रजनीश के झा)। दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (DCE), दरभंगा में आज एक प्रेरणादायक संवाद सत्र का आयोजन किया गया, जिसका विषय था "खादी, उद्यमिता एवं एमएसएमई: आत्मनिर्भर भारत की ओर"। इस विशेष आयोजन का उद्देश्य शिक्षकों को भारतीय खादी आंदोलन, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र, और आत्मनिर्भर भारत अभियान की भावना से जोड़ना था। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. एम. हनीफ मेवाती, निदेशक, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC), सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार थे। उन्होंने न केवल खादी और MSME की भूमिका को रेखांकित किया, बल्कि छात्रों को एक नई दृष्टिकोण से उद्यमिता की आवश्यकता को समझाया। डॉ. मेवाती ने कहा "आज के समय में उद्यमिता केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक प्रकार की देशभक्ति है। जब कोई युवा स्टार्टअप शुरू करता है, तो वह न केवल खुद के लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार का सृजन करता है। यही सच्ची आत्मनिर्भरता और राष्ट्रनिर्माण है।" उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि युवाओं को पारंपरिक सरकारी नौकरियों के विकल्प के रूप में उद्यमिता और स्टार्टअप्स को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपनी तकनीकी योग्यता और नवाचार क्षमता का उपयोग करते हुए समाज और राष्ट्र के विकास में सहभागी बनें।

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