उच्च न्यायालय ने सोनू निगम को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पेश होने की अनुमति देते हुए निर्देश दिया कि अगर पुलिस अपना बयान रिकॉर्ड करना चाहती है,तो गायक उसमे सहयोग करें। कन्नड़ कार्यकर्ता धर्म राज अनंतैया द्वारा दायर शिकायत के आधार पर मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शिवाशंकर अमरन्नावर ने 3 मई को अवलाहल्ली पुलिस स्टेशन द्वारा दायर की गई एफआईआर की वैधता को गायक द्वारा चुनौती देने वाली याचिका पर उक्त अंतरिम आदेश पारित करते हुए सोनू निगम को जांच में सशरीर उपस्थिति से छूट देते हुए मामले में पुलिस और जांच अधिकारियों के साथ सहयोग का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा कि यदि पुलिस गायक के बयान को शारीरिक रूप से रिकॉर्ड करना चाहती है, तो जांच अधिकारी गायक के खर्चे पर गायक के स्थान पर जाकर कर सकते हैं । सोनू निगम की तरफ से अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा गया कि गायक का इरादा किसी तरह की दुर्भावना या परेशानी उत्पन्न करने का नहीं था।
अदालत ने अतिरिक्त राज्य लोक अभियोजक बीएन जगदीश के माध्यम से सोनू निगम के बयांन को रिकॉर्ड करने के लिए बैंगलोर आने की पुलिस की याचिका को अस्वीकार कर दिया। अदालत ने व्यवस्था दी कि गायक का बयान ऑनलाइन रिकॉर्ड किया जा सकता है और अगर यह पुलिस चाहे तो अनुसन्धान अधिकारी मुंबई जाकर सोनू निगम के निवास पर बयान रिकॉर्ड कर सकते हैं। सोनू निगाम ने घटना के बाद स्पष्ट किया था कि उनकी प्रतिक्रिया दर्शकों में से कुछ लोगों द्वारा कन्नड़ भाषा में गीत गाने की मांग के साथ असंसदीय भाषा के प्रयोग के प्रतिक्रिया स्वरुप थी ,किसी की भावना या कन्नड़भाषियों के दिल दुखाने के लिए हरगिज़ भी नहीं। सोनू निगम ने अपने उस दिन के व्यवहार के लिए राज्यवासियों से क्षमा याचना भी की है।

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