पटना : प्रजापति समाज की हुंकार रैली से गूंजा अधिकारों का स्वर, राजनीतिक भागीदारी की मांग हुई तेज - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 25 मई 2025

पटना : प्रजापति समाज की हुंकार रैली से गूंजा अधिकारों का स्वर, राजनीतिक भागीदारी की मांग हुई तेज

  • “प्रजातंत्र में प्रजापति को मिले हक और भागीदारी”, पटना में जुटे हजारों लोग

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पटना, 25 मई (रजनीश के झा) : बिहार की राजधानी पटना के मिलर हाई स्कूल मैदान में आज बिहार कुम्हार प्रजापति समन्वय समिति के तत्वावधान में आयोजित हुंकार रैली ने राज्य की राजनीति में सामाजिक न्याय और समान भागीदारी की बहस को एक नई धार दे दी। इस विशाल रैली में प्रदेश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में प्रजापति समाज के लोग शामिल हुए और अपने सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक हक की पुरजोर मांग उठाई। रैली के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय प्रजापति महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री दारा सिंह प्रजापति ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “अब समय आ गया है कि प्रजापति समाज खुद को सिर्फ कुम्हारी तक सीमित न रखे, बल्कि शिक्षा, राजनीति और प्रशासन में सशक्त भागीदारी दर्ज कराए। हम अब मौन नहीं रहेंगे।" विशिष्ट अतिथि, मध्यप्रदेश के छतरपुर विधानसभा के पूर्व विधायक आर. डी. प्रजापति ने कहा कि “राजनीतिक निर्णयों की प्रक्रिया में जब तक हम खुद भाग नहीं लेंगे, तब तक समाज की वास्तविक उन्नति संभव नहीं है। आबादी के अनुपात में भागीदारी ही लोकतंत्र की आत्मा है।"


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समिति के अध्यक्ष श्री रूपेश कुमार ने कहा,“मंडल आयोग लागू होने के बाद भी कुम्हार जाति को अपेक्षित राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। यह अन्याय है। हम सभी राजनीतिक दलों से आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी की मांग करते हैं।” कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रदेश महासचिव पिंटू गुरुजी ने कहा कि, “प्रजापति समाज आज भी अत्यंत पिछड़ा बना हुआ है। छोटी-छोटी जातियों में बंटा यह वर्ग आज तक सुरक्षात्मक उपायों से वंचित है। केंद्र व राज्य सरकारों को चाहिए कि वे ‘अत्यंत पिछड़ा’ वर्ग के लिए सुरक्षात्मक कानून बनाएं।” रैली में वक्ताओं ने समाज की ऐतिहासिक भूमिका, सांस्कृतिक विरासत और वर्तमान चुनौतियों पर खुलकर चर्चा की और बताया कि कैसे सदियों से मिट्टी की कला से जुड़ा यह समाज आज हाशिए पर खड़ा है। प्रजापति समाज की प्रमुख मांगें इस प्रकार रहीं: प्रजापति समाज को अनुसूचित जाति (SC) में शामिल किया जाए। राजनीतिक भागीदारी आबादी के अनुपात में सुनिश्चित की जाए। मिट्टी कला बोर्ड का गठन कर परंपरागत कुम्हारी कला को संरक्षित किया जाए। शिक्षा, तकनीकी प्रशिक्षण और रोजगार में समाज के युवाओं को प्राथमिकता दी जाए। अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग तथा सुरक्षात्मक कानून बनाया जाए। हुंकार रैली में हजारों की संख्या में महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों की भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि प्रजापति समाज अब अपने हक और सम्मान के लिए संघर्ष के रास्ते पर पूरी मजबूती से आगे बढ़ चुका है। इस रैली ने सामाजिक न्याय के विमर्श में एक नया अध्याय जोड़ा है और आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज़ होने के संकेत दे गया है।

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