जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप, रोग, शोक और दोष दूर हो जाते, यही वजह है कि शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के ऊपर जलधारा के लिए पानी से भरी मटकी में छेद कर कुशा लगाई जाती है जिससे लगातार शिवलिंग पर जल टपकता रहे। स्कंद और शिव पुराण के मुताबिक वैशाख महीने में सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विधान बताया है। इसके लिए तांबे के लोटे में साफ पानी या तीर्थ का जल भरें। उसमें गंगाजल की कुछ बूंदे और सफेद फूल डालें। शिवालय जाकर ये जल शिवलिंग पर चढ़ा दें। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप, रोग, शोक और दोष दूर हो जाते हैं। पुराणों में शिव पूजा के लिए वैशाख का महत्व पुराणों में बताया गया है कि श्रावण से पहले वैशाख महीने में भी शिव की विशेष आराधना करनी चाहिए। वैशाख में तेज गर्मी पड़ती है, इसलिए शिव पर जलधारा लगाई जाती है। वैशाख महीने के दौरान तीर्थ स्नान और दान का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में पशु-पक्षियों को भी जल पिलाने की व्यवस्था किए जाने की परंपरा है। जिसका विशेष पुण्य फल मिलता है।
सीहोर। शहर के सीवन तट पर हनुमान मंदिर गोपालधाम में शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में एक माह तक आयोजित होने वाले शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान वैशाख महापर्व का आयोजन किया जा रहा है। श्रावण मास के पहले वैशाख महीने में प्रतिदिन पंचामृत सहित अन्य से भगवान शिव का अभिषेक किया जा रहा है। समिति द्वारा वैशाख पूर्णिमा भव्य प्रसादी वितरण किया जाएगा। गुरुवार को यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं ने यज्ञाचार्य पंडित पवन व्यास और पंडित कुणाल व्यास के मार्गदर्शन में विप्रजनों की उपस्थिति में नमक और चमक के साथ भगवान शिव का अभिषेक किया। नमक-चमक के साथ अभिषेक एक खास तरह का रुद्राभिषेक है, जिसमें पूजन सामग्री को सामान्य रुद्राभिषेक की तुलना में पांच गुना अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है। यह अनुष्ठान विशेष अवसरों पर किया जाता है और इसे बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। शुक्रवार को प्रदोष पर किया जाएगा रुद्राभिषेक, यह उनके सभी पापों और बुरे कर्मों को उनके जीवन से दूर करने में मदद करता है। रुद्रभिषेक पूजा नकारात्मकता, और बुरे कर्मों को हटाने में मदद करती है और जीवन में सुरक्षा प्रदान करती है। रुद्रभिषेक पूजा चंद्रमा के नकारात्मक प्रभावों से छुटकारा पाने और एक मजबूत मन, अच्छा स्वास्थ्य, सद्भाव और धन रखने में मदद करती है। यह शनि ग्रहा के बुरे प्रभावों से भी मदद करता है। शिव प्रदोष सेवा समिति की ओर से मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि समिति के द्वारा पूरे मास पंचामृत के अलावा शहद, केसर सहित अन्य से भगवान शिव का अभिषेक किया गया। इसके अलावा मंदिर परिसर में नियमित रूप से सुंदरकांड, हनुमान चालीसा पाठ, रामचरित्र मानस का पाठ किया गया। इन दिनों वैशाख का माह चल रहा है। इस महीने तेज गर्मी पड़ती है क्योंकि इस दैारान सूर्य की रोशनी धरती पर ज्यादा देर तक रहती है। साथ ही सूर्योदय जल्दी हो जाता है और सूर्यास्त देरी से होता है। इसलिए ही इस समय दिन बड़े और रातें छोटी होती है। इस कारण स्कंद पुराण में भी बताया गया है कि वैशाख महीने में जल का दान करना चाहिए, पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करनी चाहिए और शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। मौसम के मुताबिक ऐसा करने से कई गुना पुण्य मिलता है। भगवान शिव ने जन कल्याण के लिए समुद्र मंथन से निकला जहर पिया था। उस जहर की गर्मी से उनका शरीर नीला हो गया। उस गर्मी को कम करने के लिए ही शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा है। वैशाख महीने में गर्मी बहुत बढ़ जाती है। इसलिए इस महीने में खासतौर से शिवालयों में जल दान का विधान है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें