- धाम पर किया गया भंडारे का आयोजन, 11 हजार से अधिक गुलाब जमुन का भोग लगाकर किया प्रसादी का वितरण
- मन, वचन और कर्म से पुण्य करना चाहिए : अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा
गुरु पूर्णिमा पर किया जाएगा महोत्सव
आगामी दिनों में होने वाले गुरु पूर्णिमा को लेकर सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित श्री मिश्रा ने आन लाइन कथा के दौरान जानकारी देते हुए बताया कि महोत्सव पर पांच दिवसीय कथा का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था भी की जाएगी।
भगवान गणेश के लिए माता-पिता ही संपूर्ण संसार
शिव जी और पार्वती जी ने एक दिन विचार किया कि अब बच्चों का विवाह करना चाहिए। कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी से कहा कि जो इस पूरे संसार का चक्कर लगाकर पहले लौट आएगा, उसका विवाह पहले कराएंगे। कार्तिकेय स्वामी तो अपने वाहन मयूर यानी मोर पर बैठकर उड़ गए। गणेश जी का वाहन चूहा है तो उन्हें अपना दिमाग दौड़ाया। गणेश जी ने तुरंत ही माता-पिता यानी शिव-पार्वती की परिक्रमा कर ली और कहा कि मेरे तो आप दोनों ही पूरा संसार हैं। ये बात सुनकर शिव जी और पार्वती जी बहुत प्रसन्न हो गए। शिव जी ने गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दे दिया। कार्तिकेय स्वामी संसार की परिक्रमा करके आए तो उन्हें थोड़ा ज्यादा समय लग गया। वापस लौटकर कार्तिकेय स्वामी ने देखा कि गणेश का विवाह हो गया है।जया ने कार्तिकेय को यह भी बताया कि शिव और पार्वती उनकी रक्षा करते हैं और उन्हें खतरे से बचाते हैं। उसने कहा कि शिव और पार्वती हमेशा उनकी मदद करते हैं जब उन्हें जरूरत होती है। अंत में, जया ने कार्तिकेय को समझाया कि वह अपने माता-पिता को कभी भी गलत न समझे। उसने कहा कि शिव और पार्वती हमेशा उनकी भलाई के लिए कार्य करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। कार्तिकेय ने जया को सुना और अंत में, उसने अपने माता-पिता को प्रेम करने लगा। कार्तिकेय और गणेश को भगवान ने महत्व देते हुए कहाकि भगवान को गणेश को पूजा जाएगा तो कार्तिकेय को कलश के रूप में पूजा जाएगा। कार्तिकेय का भ्रम दूर किया। पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि परमात्मा की जगह संबंध संसार के लोगों से जितना जोड़ोगे तो जीवन सार्थकता नहीं प्राप्त कर सकता है। किसी के वचन कार्य से दुख प्राप्त होता है। परमात्मा से संबंध जोड़ने से शांति मिलती है।

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