सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर मनाया जाएगा गुरुपूर्णिमा महोत्सव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 2 जून 2025

सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर मनाया जाएगा गुरुपूर्णिमा महोत्सव

  • धाम पर किया गया भंडारे का आयोजन, 11 हजार से अधिक गुलाब जमुन का भोग लगाकर किया प्रसादी का वितरण
  • मन, वचन और कर्म से पुण्य करना चाहिए : अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा

Kubereshwar-dham-sehore
सीहोर। मन, वचन और कर्म से पुण्य करना चाहिए। मन से भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति, वचन से सत्य और मधुर वाणी, और कर्म से अच्छे कार्य करने चाहिए. इन तीनों के संतुलन से व्यक्ति का जीवन सार्थक बनता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि कोई व्यक्ति दुखी है, तो उसे अपने शब्दों को ध्यान से चुनना चाहिए और दूसरों के लिए दयालु और सहानुभूतिपूर्ण शब्द उपयोग करने चाहिए। अपने मन से किसी को दुख नहीं देना चाहिए और आपके कर्म सत्य होना चाहिए, तब आपका जीवन सार्थक होगा। पुण्य तीन प्रकार के होते है। उक्त विचार जिला मुख्यालय स्थित कुबेरेश्वरधाम पर जारी सात दिवसीय आन लाइन शिवपुत्री शिव महापुराण के चौथे दिवस अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। सोमवार को उनके पिता श्री की पुण्य तिथि के अवसर पर विठलेश सेवा समिति की ओर से समिति के व्यवस्थापक पंडित समीर शुक्ला, पंडित विनय मिश्रा सहित अन्य ने यहां पर आए हजारों श्रद्धालुओं को 11 हजार से अधिक गुलाब जमुन, 2 क्विंटल नुक्ती, डेढ़ क्विंटल मिक्चर, पांच क्विटल खिचड़ी के अलावा पनीर की सब्जी सहित रोटी आदि भोजन प्रसादी का वितरण किया। वहीं कथा के दौरान उत्तरप्रदेश के फरुखाबाद से ट्रक में करीब 10 टन तरबूजा, मुंगफली और भुट्टे आदि लेकर शुभम सिंह राठौर का सम्मान किया। इस मौके पर पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि भगवान शिव के भक्त शुभम विगत कई सालों से यहां पर भी कथा होती है, वहां पर श्रद्धालुओं के लिए पेयजल सहित अन्य व्यवस्था करते आ रहे है। शुभम ने कहाकि गांव पर उनकी 20 बीघा जमीन है और बाबा के आशीर्वाद से वह उन्नति कर रहे और जब भी कथा का आयोजन होता है वह गुरुदेव की प्रेरणा से सेवा कार्य में लग जाता है।


गुरु पूर्णिमा पर किया जाएगा महोत्सव

आगामी दिनों में होने वाले गुरु पूर्णिमा को लेकर सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित श्री मिश्रा ने आन लाइन कथा के दौरान जानकारी देते हुए बताया कि महोत्सव पर पांच दिवसीय कथा का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था भी की जाएगी।


भगवान गणेश के लिए माता-पिता ही संपूर्ण संसार

शिव जी और पार्वती जी ने एक दिन विचार किया कि अब बच्चों का विवाह करना चाहिए। कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी से कहा कि जो इस पूरे संसार का चक्कर लगाकर पहले लौट आएगा, उसका विवाह पहले कराएंगे। कार्तिकेय स्वामी तो अपने वाहन मयूर यानी मोर पर बैठकर उड़ गए। गणेश जी का वाहन चूहा है तो उन्हें अपना दिमाग दौड़ाया। गणेश जी ने तुरंत ही माता-पिता यानी शिव-पार्वती की परिक्रमा कर ली और कहा कि मेरे तो आप दोनों ही पूरा संसार हैं। ये बात सुनकर शिव जी और पार्वती जी बहुत प्रसन्न हो गए। शिव जी ने गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दे दिया। कार्तिकेय स्वामी संसार की परिक्रमा करके आए तो उन्हें थोड़ा ज्यादा समय लग गया। वापस लौटकर कार्तिकेय स्वामी ने देखा कि गणेश का विवाह हो गया है।जया ने कार्तिकेय को यह भी बताया कि शिव और पार्वती उनकी रक्षा करते हैं और उन्हें खतरे से बचाते हैं। उसने कहा कि शिव और पार्वती हमेशा उनकी मदद करते हैं जब उन्हें जरूरत होती है। अंत में, जया ने कार्तिकेय को समझाया कि वह अपने माता-पिता को कभी भी गलत न समझे। उसने कहा कि शिव और पार्वती हमेशा उनकी भलाई के लिए कार्य करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। कार्तिकेय ने जया को सुना और अंत में, उसने अपने माता-पिता को प्रेम करने लगा। कार्तिकेय और गणेश को भगवान ने महत्व देते हुए कहाकि भगवान को गणेश को पूजा जाएगा तो कार्तिकेय को कलश के रूप में पूजा जाएगा। कार्तिकेय का भ्रम दूर किया। पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि परमात्मा की जगह संबंध संसार के लोगों से जितना जोड़ोगे तो जीवन सार्थकता नहीं प्राप्त कर सकता है। किसी के वचन कार्य से दुख प्राप्त होता है। परमात्मा से संबंध जोड़ने से शांति मिलती है।

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