पटना : बिहार में जो हो रहा है, वह भारत के चुनावी इतिहास में पहली बार हो रहा है : का. दीपंकर भट्टाचार्य - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 7 जुलाई 2025

पटना : बिहार में जो हो रहा है, वह भारत के चुनावी इतिहास में पहली बार हो रहा है : का. दीपंकर भट्टाचार्य

  • 9 जुलाई को करेंगे मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय का घेराव, पूरे बिहार में चक्का जाम
  • जनता को अब सड़कों पर उतरकर अपने मताधिकार की रक्षा करनी होगी

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पटना, 7 जुलाई (रजनीश के झा)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाया जा रहा विशेष मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) भारत के चुनावी इतिहास में एक अभूतपूर्व और चिंताजनक घटना है। यह न केवल असंवैधानिक है, बल्कि करोड़ों लोगों के मताधिकार को संकट में डालने वाला है। इससे पहले ऐसा कोई उदाहरण देश के किसी भी राज्य में नहीं देखने को मिला। उन्होंने बताया कि इंडिया गठबंधन ने दिल्ली जाकर चुनाव आयोग से मुलाकात की थी, लेकिन वहां से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। आयोग का रवैया बेहद असंवेदनशील और टालमटोल भरा था। बिहार में करोड़ों लोग इस प्रक्रिया से परेशान और आशंकित हैं, लेकिन आयोग केवल इतना कह रहा है -सब ठीक हो जाएगा। का. भट्टाचार्य ने सवाल उठाया कि यदि यह प्रक्रिया संविधान के अनुसार है, तो क्या पिछले 70 वर्षों से जो चुनाव हो रहे थे, वे संविधान के विरुद्ध थे? 2024 का लोकसभा चुनाव अवैध था? आयोग कहता है कि यह नया चुनाव आयोग है। नया तो यही है कि भाजपा सरकार ने चुनाव आयोग के चयन के लिए जो कानून बनाया, उसमें किसी भी प्रकार की निष्पक्षता की गुंजाइश नहीं छोड़ी। आयोग अब सत्ता पक्ष के इशारे पर काम कर रहा है। इतिहास में पहली बार चुनाव आयोग ने संविधान की व्याख्या करते हुए ऐसी पुनरीक्षण प्रक्रिया शुरू की है, जो असल में नागरिकता की जांच में बदल गई है।


चुनाव आयोग की नजर में 2003 के बाद बने सभी मतदाता संदिग्ध नागरिक हैं। यहां तक कि 2003 से पहले बने मतदाता भी सुरक्षित नहीं हैं - उन्हें भी फॉर्म भरने को कहा जा रहा है। यदि इनमें कोई त्रुटि रह जाती है, तो उनके नाम भी मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे। यह वही मॉडल है जो असम में एनआरसी के दौरान अपनाया गया था, जिसके गंभीर परिणाम सामने आए - लाखों लोगों को ‘डी वोटर’ घोषित कर दिया गया, कुछ डिटेंशन कैंपों में भेज दिए गए, कुछ को बांग्लादेश भेजने की कोशिश की गई, फिर वापस लाकर उन्हें भारत का नागरिक मान लिया गया। यही खेल अब बिहार में दोहराया जा रहा है। अनुमान है कि 8 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 5 से 5.5 करोड़ लोग इस प्रक्रिया की चपेट में आ सकते हैं। का. भट्टाचार्य ने विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों के अधिकारों को लेकर चिंता जताई। चुनाव आयोग का मानना है कि जो लोग बिहार से बाहर रहते हैं -लगभग 20 प्रतिशत-मतदाता सूची से हट सकते हैं। यह रवैया अत्यंत भेदभावपूर्ण है। देश की मेहनतकश जनता, जो किसी अन्य राज्य में काम करने जाती है, अपनी जड़ों से नहीं कट जाती। चुनाव के समय वे अपने राज्य लौटते हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इसी तरह बटाईदार किसानों, आशा, आंगनबाड़ी और मिड-डे मील स्कीम वर्करों को भी पहचान पत्र नहीं दिए गए हैं। यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि वे उन्हें पहचान पत्र उपलब्ध कराए। जन्म प्रमाण पत्र देना भी सरकार का कार्य है, लेकिन सरकार अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के बजाय दोष मतदाताओं पर मढ़ रही है। कुछ लोग इस प्रक्रिया को घुसपैठियों को निकालने के नाम पर उचित ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन भारत की सीमाओं की निगरानी करना केंद्र सरकार और बीएसएफ की जिम्मेदारी है। यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से आ रहा है, तो यह केंद्र सरकार की विफलता है, न कि आम जनता की। इसकी जिम्मेदारी जनता पर नहीं थोपी जा सकती। अब स्थिति यह हो गई है कि किसी व्यक्ति को मतदाता बनने से पहले अपनी नागरिकता सिद्ध करनी होगी। यह लोकतंत्र के सार्वभौमिक मताधिकार के सिद्धांत पर सीधा हमला है। संविधान लागू होने के साथ ही भारत में प्रत्येक वयस्क नागरिक को मताधिकार प्राप्त हुआ था, लेकिन आज उसे सीमित और चयनात्मक बनाया जा रहा है।


हमारी मांगें हैं कि

बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया को तत्काल रद्द किया जाए। पुरानी मतदाता सूची के आधार पर आगामी चुनाव कराए जाएं। भाकपा (माले) के राज्य सचिव का. कुणाल ने जानकारी दी कि भाकपा (माले) और इंडिया गठबंधन की ओर से यह निर्णय लिया गया है कि 9 जुलाई 2025 को पूरे बिहार में चक्का जाम किया जाएगा और पटना में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) के कार्यालय का घेराव किया जाएगा। यह आंदोलन आम जनता के अधिकारों से जुड़ा है। हर नागरिक से अपील की जाती है कि वे सड़कों पर उतरें और अपने मताधिकार की रक्षा के लिए संघर्ष में शामिल हों। संवाददाता सम्मेलन में ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, एमएलसी शशि यादव और वरिष्ठ नेता का. केडी यादव भी उपस्थित थे।

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