भोपाल : मप्र हाउसिंग बोर्ड में 9 करोड़ के रेनोवेशन कार्य की खुली पोल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 8 जुलाई 2025

भोपाल : मप्र हाउसिंग बोर्ड में 9 करोड़ के रेनोवेशन कार्य की खुली पोल

  • बारिश ने खोली घटिया निर्माण की पोल, थोडी बारिश में नष्ट लेखा शाखा का रिकॉर्ड  

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भोपाल। पर्यावास भवन स्थित मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड ऑफिस में करीब 9 करोड़ रुपए के रेनोवेशन घोटाले की परतें एक-एक कर खुलती जा रही हैं। हाल ही में आई बारिश ने न केवल इस भ्रष्टाचार की पोल खोल दी, बल्कि बोर्ड की लेखा शाखा का पूरा पेंशन और जीपीएफ रिकॉर्ड भी पानी में बहा दिया। इस घटना से न केवल दर्जनों कर्मचारियों और अधिकारियों को पेंशन और भविष्य निधि पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, बल्कि यह खतरा भी मंडरा रहा है कि अब फर्जी रिकॉर्ड तैयार कर एक और घोटाले को अंजाम दिया जाएगा।


रेनोवेशन में लूट: 1 करोड़ के काम को 9 करोड़ में किया गया पेश

सूत्रों के अनुसार, हाउसिंग बोर्ड के मुख्यालय भवन का रेनोवेशन कार्य जिसकी वास्तविक लागत एक करोड़ से भी कम हो सकती थी, उसे मनमाने तरीके से 9 करोड़ रुपए तक पहुंचाया गया। इस कार्य में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया, जिसकी पुष्टि अब खुद बारिश ने कर दी है। हालत ऐसी हो गई कि रिकॉर्ड सुरक्षित रखने की बुनियादी व्यवस्था भी नहीं की गई थी।


तृप्ति श्रीवास्तव की मनमानी और रसूख

रेनोवेशन घोटाले की मुख्य सूत्रधार मानी जा रहीं मुख्य प्रशासनिक अधिकारी तृप्ति श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप हैं। बताया जा रहा है कि तृप्ति श्रीवास्तव जहां भी तैनात होती हैं, वहां घोटालों की लंबी फेहरिस्त पीछे छोड़ आती हैं। उन्होंने न केवल पूर्व मुख्य लेखा अधिकारी को झूठे आरोपों में फंसाकर हटवा दिया, बल्कि उसके स्थान पर एक लापरवाह और शराब के नशे में रहने वाले अधिकारी को नियुक्त करा दिया, जिससे रिकॉर्ड प्रबंधन और पारदर्शिता की उम्मीद ही समाप्त हो गई।


चार कमिश्नर बदल गए, लेकिन भ्रष्टाचार नहीं रुका

हैरानी की बात यह है कि पिछले दो वर्षों में हाउसिंग बोर्ड में चार कमिश्नर बदले गए, लेकिन कोई भी तृप्ति श्रीवास्तव की कार्यशैली पर लगाम नहीं लगा सका। वह हर अधिकारी को अपने प्रभाव में ले लेती हैं और पूरी व्यवस्था को अपने इशारों पर चलाती हैं। हालांकि पूर्व आयुक्‍त मनीष सिंह को जब पता चला कि तृप्ति श्रीवास्तव की जीएडी में जांच चल रही है तो उसको भी एक साइड कर दिया था पूरा काम अपने हाथ में ले लिया था लेकिन मनीष सिंह के जाते ही फिर से उसने अपना आतंक मचाना शुरू कर दिया। जो भी अधिकारी या कर्मचारी उनके खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करता है, उसके खिलाफ फर्जी शिकायतें कराकर उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।


मुख्यमंत्री, मंत्री तक शिकायत... पर नतीजा 'शून्य'

इस पूरे घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार लिखित शिकायतें दी गईं, लेकिन आज तक कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है। उल्टा शिकायत करने वालों को ही प्रताड़ना झेलनी पड़ी और आरोपी अधिकारी को खुली छूट दे दी गई।


शराबी लेखा अधिकारी और जलमग्न रिकॉर्ड

बोर्ड के अंदर हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि नए मुख्य लेखा अधिकारी न केवल अपने काम में लापरवाह हैं, बल्कि शराब के नशे में धुत रहते हैं। हाल की बारिश में जब कार्यालय के अंदर पानी घुसा, तब जीपीएफ और पेंशन जैसे संवेदनशील रिकॉर्ड पूरी तरह खराब हो गए। इससे साफ है कि रेनोवेशन के नाम पर सिर्फ धन की लूट हुई है, न कि कोई ठोस सुधार। कुछ समय पूर्व जब हाउसिंग बोर्ड आयुक्‍त मनीष सिंह थे तब शराब पीने के कारण मार्को को विभिन्न शाखाओं से हटाकर एक साइड कर दिया था और उसका ट्रांसफर भी भोपाल से बाहर कर दिया था लेकिन तृप्ति श्रीवास्तव की कृपा से उसका न केवल ट्रांसफर रूका बल्कि उसे मुख्‍य जिम्‍मेदारी भी सौंप दी गई।


क्या कोई बचा है जिम्मेदार

प्रश्न यह है कि जब राजधानी भोपाल के हृदयस्थल में बैठा हाउसिंग बोर्ड ही इतना भ्रष्टाचार में डूबा है, और सरकारें होते हुए भी जांच नहीं होती, तो आम जनता की शिकायतों का क्या होगा? क्या यह भ्रष्टाचार यूं ही चलता रहेगा?


जनहित में मांग

मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वतंत्र और उच्चस्तरीय एजेंसी से जांच की मांग की जा रही है। साथ ही दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्यवाही की जरूरत है ताकि पब्लिक मनी का दुरुपयोग रोका जा सके और भविष्य में इस तरह के घोटालों पर लगाम लगाई जा सके। फर्जी रेनोवेशन मामले की शिकायत मप्र के मुख्‍यमंत्री मोहन यादव जी, लोकायुक्‍त मप्र, महानिदेशक लोकायुक्‍त, विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जी, मुख्‍य सचिव अनुराग जैन जी, पूर्व प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्‍ला जी, प्रधानमंत्री कार्यालय, विभाग की राज्‍यमंत्री प्रतिमा बागरी जी, आयुक्‍त फ‍टिंग राहुल हरिदास, पुलिस अधीक्षक लोकायुक्‍त, विभाग के मुख्‍य सतर्कता अधिकारी, सामान्‍य प्रशासन विभाग के प्रमुख को स्‍पीड पोस्‍ट के माध्‍यम से की गई है। लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। जानकारी मिली है इस मामले में तृप्ति श्रीवास्‍वत द्वारा अंधा पैसा बांटा जा रहा है ताकि उस पर कोई कार्यवाही न हो।

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