- भगवान लक्ष्मण व बलदाऊ है शेषनाग के अवतार
कालसर्प दोष व पितृ दोष की शांति
पं शर्मा के अनुसार जिस जातक की कुंडली में राहू केतु के मध्य सभी ग्रह विद्यमान होते है, उक्त जातक को कालसर्प दोष, पितृ दोष माना जाता है। कालसर्प दोष, पितृ दोष की शांति के लिये रुद्धाअभिषेक किया जाना उचित माना गया है। नागदेवता की भगवान शंकर के साथ पूजा अर्चना करना भी शुभ होता है। महादेव की कृपा से सभी नवग्रह एवं नागदेवता प्रसन्न होकर मनोवांछित आशीर्वाद श्रद्धालुओं को देते हैं l
पंचमी को शिवयोग का निर्माण
शास्त्र अनुसार सावन माह के नाग पंचमी को शिवयोग का निर्माण हो रहा है । नाग पंचमी को नागदेव दर्शन, बाम्बी पूजा और प्रतीक स्वरूप भगवान के लिये दूध रखना चाहिये । जिन श्रद्धालुओ की जन्म कुंडली में कालसर्प पितृदोष हे ; उन्हें धातु के नाग नागिन के जोड़ो को नदी में प्रवाहित करना चाहिए या शिवालय में भेंट करना चाहिये । नागपंचमी के दिन रुद्रअभिषेक करने व शिवलिंग पर कच्चा दूध बिल्व पत्र धतूरा शहद अक्षतचंदन इत्र सुगंधित पुष्प चढ़ाना चाहिये

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