कॉ. कुणाल ने कहा कि इस तरह के परस्पर विरोधी निर्देशों से मतदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति बन रही है। इसलिए आयोग को हर बात को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए, संबंधित निर्देशों की औपचारिक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जारी करनी चाहिए और समाचार पत्रों तथा अन्य माध्यमों से उसे प्रचारित करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार निर्वाचन आयोग के अनुसार अब तक केवल 7 प्रतिशत मतदाताओं का ही फॉर्म भरवाया जा सका है, जबकि प्रक्रिया को शुरू हुए दस दिन से अधिक हो चुके हैं। इस रफ्तार से तो करोड़ों मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से बाहर रह जाएगा। ऐसी स्थिति में 25 जुलाई तक सभी मतदाताओं द्वारा फॉर्म भर पाना संभव नहीं दिखता। इसलिए भाकपा-माले मांग करती है कि मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया को तत्काल रोक दिया जाए और आगामी चुनाव पुरानी मतदाता सूची के आधार पर ही कराया जाए। कॉ. कुणाल ने यह भी कहा कि बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) का फॉर्म अब तक हिंदी में उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बीएलए की नियुक्ति में भारी दिक्कतें आ रही हैं। यह समझना जरूरी है कि आयोग की मंशा क्या है। उन्होंने यह भी मांग की कि चुनाव आयोग को हर दिन यह जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए कि अब तक कितने मतदाताओं के फॉर्म भरवाए जा चुके हैं। इससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी।
पटना, 5 जुलाई (रजनीश के झा)। भाकपा-माले के राज्य सचिव कॉ. कुणाल ने आज बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ), पटना को पत्र लिखकर मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया में फैले भ्रम को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि भोजपुर और गोपालगंज समेत कई जिलों से यह जानकारी मिल रही है कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) अब यह कह रहे हैं कि फॉर्म के साथ किसी भी प्रकार के दस्तावेज़ देने की आवश्यकता नहीं है।

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