वाराणसी : काशी को संवारने और युवाओं को प्रेरित करने में जुटे पुलकित गर्ग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

वाराणसी : काशी को संवारने और युवाओं को प्रेरित करने में जुटे पुलकित गर्ग

  • वीडीए उपाध्यक्ष एमटूपीएम पार्क का किया निरीक्षण, निफ्ट छात्रों को दिया डिज़ाइन सोच का संदेश, पार्क में दिखी विकास की नई सोच

Varanasi-development
वाराणसी (सुरेश गांधी)।  वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने गुरुवार को शहर के दो अहम स्थलों का दौरा करते हुए एक ओर जहां शहरी सौंदर्यकरण और जल संरक्षण की दिशा में कार्यों की समीक्षा की, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय फैशन संस्थान (निफ्ट) के विद्यार्थियों को समाजोन्मुख डिज़ाइन की सीख दी। उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने लालपुर स्थित एएम टू पीएम पार्क का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने पार्क के नवीन डिज़ाइन की सराहना करते हुए कहा कि यह स्थान स्थानीय नागरिकों के लिए एक बेहतर सार्वजनिक अवकाश स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। निरीक्षण के दौरान उन्होंने पार्क में लगे झूलों की फिनिशिंग में आई कमियों को शीघ्र दुरुस्त कराने के निर्देश दिए। इसके साथ ही वर्षा जल संचयन (रेन वॉटर हार्वेस्टिंग) के लिए किए गए प्रावधानों को सराहा, और इसे शहर के अन्य पार्कों में भी लागू करने की आवश्यकता जताई। पार्क में तैनात माली को वर्दी में रहने और प्रतिदिन साफ-सफाई सुनिश्चित कराने के निर्देश भी दिए गए।


निफ्ट में युवाओं को दिया रचनात्मकता का संदेश

एक दिन पूर्व बुधवार वार को उपाध्यक्ष गर्ग ने निफ्ट वाराणसी के ओरिएंटेशन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि डिज़ाइन केवल कपड़ों या स्केच की सीमा तक नहीं है, बल्कि यह सोचने, समझने और समाज को बेहतर बनाने की एक प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि कैसे डिज़ाइन थिंकिंग का इस्तेमाल शहरी योजनाओं, प्रशासनिक निर्णयों, और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में किया जा सकता है। उन्होंने बनारस की कारीगरी, हथकरघा और वस्त्रशिल्प का उदाहरण देते हुए छात्रों को अपनी जड़ों से जुड़े रहने की सलाह दी।


दिए पाँच मूलमंत्र

उपाध्यक्ष गर्ग ने विद्यार्थियों को पाँच मूल बातें याद रखने को कहा, हर दिन कुछ नया सीखने की ललक रखें।  अपनी संस्कृति और परंपरा को जानें और उसमें गर्व करें। डिज़ाइन केवल सुंदरता नहीं, उपयोगिता का भी माध्यम हो। टीमवर्क को अपनाएं, क्योंकि डिज़ाइन अकेले नहीं बनता। असफलता से न डरें, क्योंकि श्रेष्ठ कृति कई प्रयासों के बाद ही बनती है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, आप डिज़ाइनर ही नहीं, भविष्य के सृजनकर्ता हैं। अपने कौशल का उपयोग राष्ट्र निर्माण में करें।  

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