
सीहोर। शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प वृद्धाश्रम में जारी 16 दिवसीय श्राद्धपक्ष में जारी 16 दिवसीय धर्मसभा में बुधवार को श्रद्धा भक्ति सेवा समिति के संचालक राहुल सिंह ने कहाकि प्रसन्नचित्त होकर ही जीवन को सुधारा जा सकता है क्योंकि प्रसन्नता से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, कार्यक्षमता बढ़ती है और रिश्तों में मधुरता आती है। इसके लिए, बाहरी परिस्थितियों के बावजूद आंतरिक शांति बनाए रखना, ध्यान और व्यायाम करना, स्वस्थ संबंध बनाना और जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि सकारात्मक ऊर्जा, प्रसन्नता के कारण व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे उसकी कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। हमेशा प्रसन्नचित्त मुद्रा में रहें। क्रोध को चेहरे पर न आने दें। ऑफिस या फैक्ट्री से घर आते ही सबसे पहले अपने पेंट, कमीज, कोट व टाई उतारकर खूंटी पर टांगते हैं और लुंगी पहनकर खुद को हल्का महसूस करें। ठीक उसी प्रकार घर में प्रवेश करने से पहले दो मिनट रुकें, ऑफिस में, दुकान में, फैक्ट्री में किसी पर गुस्सा आता हो, किसी बात को लेकर मूड ऑफ हो गया हो तो वह सब कूड़ेदान में डालकर ही जाएं। वर्ना आप कपड़े उतारकर शरीर को तो हल्का कर लेंगे लेकिन माथे पर तनाव की लकीरें खिंची ही रहेंगी।
आपके काम करने का तरीका हमेशा साफ और बढिय़ा रखना चाहिए
संचालक श्री सिंह ने कहाकि आज हम जो भी काम करते हैं चाहे व्यवसाय हो, नौकरी या बेशक कबाड़ी का काम कर परिवार का भरण-पोषण करते हों, कोई भी कैसा भी काम हो चाहे बड़ा या छोटा उसे मन लगाकर करें। कोई भी काम बड़ा नहीं लगेगा यदि उसे बोझ समझकर न किया जाए तो। उदाहरण के तौर पर घर में झाड़ू भी लगाएं तो ऐसे कि लगे जैसे शेक्सपीयर अपना उपन्यास लिख रहा हो। आपके काम करने का तरीका हमेशा साफ और बढिय़ा रखना चाहिए। बाहर लाए गए इस तनाव का सबसे पहला परिणाम पत्नी पर आता है। आप पत्नी पर गुस्सा उतारते हैं और पत्नी अपना गुस्सा बच्चों पर। कहां तो पत्नी अपने बच्चों से कहती है कि पापा 8 घंटे बाद घर आएंगे। बड़ा आनंद आएगा उनसे मिलकर, फल और मिठाई भी लाएंगे। लेकिन यदि पति तनाव लेकर घर आएगा तो पत्नी अपने मन में यही सोचेगी कि ऐसा आदमी तो 8 घंटे की जगह 12 घंटे बाद ही घर आए तो ही बढिय़ा रहेगा। कारण, जहां पहले घर स्वर्ग था, तनाव के कारण वहां महाभारत प्रारंभ हो गई। दो मिनट के अंदर घर नरक बन गया।
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