- पूर्वजों के प्रति ही है श्रादपक्ष, इस बार होंगे 15 दिन के पितृपक्ष : पंडित शर्मा
राहु और केतू बनाते है पितृदोष
ज्योतिषानुसार जब सभी ग्रह जन्मकुंडली में राहु व केतू के मध्य आ जाते है तो पितृदोष बनता है और मनुष्य को पितृदोष के कारण अपने जीवनकाल में कई उतार चड़ाव व परेशानियों का सामना करना पड़ता है इस स्थिति में मनुष्य को ब्राहम्णों की उपास्थिति में पितृ शांति करवाना चाहिए। कई बार हमारे पितरों की असमय मृत्यु हो जाती है और उन्हे अल्पायु प्राप्त होती है। तब मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृशांति अवश्य कराना चाहिए । पंडित शर्मा ने बताया कि जिस मनुष्य पर पितृ प्रशन्न होते है उस मनुष्य पर देवताओं और नवग्रहों की कृपा सदेव बनी रहती है। पित्शांति के लिए पितृपक्ष सबसे उत्तम समय माना गया है।
दक्षिण दिशा में होती है पितरों की दिशा
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पूर्वजों की तिथिनुसार पितृपक्ष में श्राद्ध,तर्पण,ब्राहम्ण भोजन कराना चाहिए तथा जिन पितरों की तिथि मालूम नहीं हो उनका तर्पण पितृमोक्ष अमावस्या को करना चाहिए। पितृपक्ष में मनुष्य को अपने पितरों के निमित गीता पाठ, श्रीमद भागवत कथा, गरूण पूराण पितृसूक्त पौधारोपण आदि करना चाहिए, मनुष्य द्वारा काले तिल, जल, जो, फूल आदि पूजा सामग्री के माध्यम से पितृ तर्पण करना चाहिए,पीपल की पूजा व दीपक लगाना चाहिए पूर्व दिशा में देवताओंं, उत्तर दिशा में ऋषियों व दक्षिण दिशा में पितरों की दिशा मानी गई है इसी क्रमानुसार तर्पण किया जाना चाहिए।

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