विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष : तनाव को पछाड़, जीत की ओर बढ़ाएं कदम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष : तनाव को पछाड़, जीत की ओर बढ़ाएं कदम

World-mental-health-day
बैंगलोर, 10 अक्टूबर (विजय सिंह)। मानसिक स्वास्थ्य, मानव कल्याण का एक ऐसा अभिन्न अंग है, जो गुणवत्तायुक्त जीवन (Quality Life) के लिए बेहद जरूरी  है। ऐसे तो आज (विशेष कर कोरोना काल के बाद) हर दिन मानसिक स्वास्थ्य की बात होती है , लेकिन प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को पूरी दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष चर्चा होती है और इस दिन को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। जन मानस में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जनचेतना फैलाना, कठिनाइयों से जूझने, लड़ने, निपटने और  मानसिक रूप से संबलता के साथ स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करना, इस दिन विशेष का उद्देश्य है। मानसिक स्वास्थ्य को "मानसिक बीमारियों" से परे हट कर सोचने समझने की जरूरत है। इसे जीवन की चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने की क्षमता के तौर पर भी देखा जा सकता  है। मानसिक रूप से ताकतवर रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम अपने दैनिक जीवन में नकारात्मक और छद्म "नव- विशेषज्ञों" से दूर रहें। कार्यस्थल पर सकारात्मक वातावरण बना रहे, इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे। छोटी- मोटी बातों को दरकिनार कर यदि सामंजस्य बना कर क्रियाशीलता रहे तो गतिशीलता स्वत: परिभाषित हो जाएगी।


World-mental-health-day
घर, इंसान ही नहीं हर जीव का, सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। घरेलू माहौल हर विपरीत परिस्थिति में भी सात्विकता से भरा रहे तो जिंदगी की जद्दोजहद से निपटने में काफी आसानी होती है। पक्षी दिन में चाहे जितनी उड़ान भर लें, शाम ढलते ही वे अपने घोंसले में ही लौट कर शुकून पाते हैं, फिर हम तो इंसान हैं। घर छोटा हो, बड़ा हो या महल हो, एकता-सामंजस्य, परस्पर सम्मान और सात्विक विचारों से ही "घर" बनता है वरना, ईंट, गिट्टी, सीमेंट, मार्बल, टाइल्स के मकान तो हर तरफ, हर दिन बन रहे हैं। "घर" को "घर" बनाने में एक और चीज बहुत महत्वपूर्ण है, वह है- त्याग। परस्पर त्याग की भावना उत्कृष्ट मानसिक स्वास्थ्य के लिए "रामबाण औषधि" का काम करती है। तय करना होगा कि हमें पाना कितना है,  हमारी जरूरत कितनी है, हमें चाहिए कितना - जब यह आंकलन होगा, तो स्वाभाविक त्याग की भावना जागृत होगी और अंतत: मानसिक सुख की प्राप्ति हो पाएगी। भौतिक सुख जरूरी है परंतु उसका भोग तभी हम कर पाएंगे जब मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे I जिंदगी है, तो परेशानियों से दो-चार होना ही पड़ेगा, कठिनाइयों से जूझना होगा, लेकिन हर अंधेरी रात के बाद रोशनी भरी सुबह होती है और फिर सब कुछ चकाचक लगने लगता है।


तभी तो जानकार कहते हैं कि धैर्य को अपने जीवन का गहना बना लो, फिर देखो जिंदगी कितनी हसीन लगती है। किसी दिन ज्यादा परेशानी हो तो गुनगुनाइये या सुनिए कुछ मनपसंद गाने, कुछ देर बाद शांत मन से फिर सोचे, देखिएगा कि सोचने की शक्ति बढ़ चुकी होगी और समस्या समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा। जिंदगी की कोई भी समस्या हमारी जिंदगी से बड़ी नहीं है , इस बात को हमें याद रखना होगा। विधार्थी इस बात का ख्याल रखें कि बड़ी सफलता के लिए कभी कभी विफलता को भी गले लगाना पड़ सकता है, लेकिन किसी भी सूरत में विफलता से निराश नहीं होना है, ना डरना है, ना घबराना है। सबसे जरूरी है, परेशानी या कोई समस्या हो तो, माता-पिता, अभिभावक, शिक्षक से खुल कर बात करें, अपनी बात साझा करें। ध्यान रहे कि अंक या प्रतिशत मेधा के मापदंड नहीं हो सकते। आप वो करें, जिसमें आपकी रूचि है, विषय वह चुने, जो आपको समझ में आए।  मतभिन्नता हो सकती है, लेकिन अभिभावक से खुल कर कहें, उन्हें अपनी इच्छा से अवगत कराएं। कुछ भी बनने से पहले एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश करें,  देखिए फिर, जिंदगी कितनी खूबसूरत नजर आती है।


हाँ, इसके साथ ही भरपूर नींद लें, नियमित व्यायाम को जीवन का हिस्सा बनांए, कुछ समय मोबाइल व सोशल मीडिया से दूर रहें,  कहीं भी सार्वजनिक बेमतलब की बहस से परहेज करें,  नकारात्मक संगति से दूरी बनाए रखें, हंसना सीखें, आध्यतम अपनाएं, नशे से दूर रहें, ईर्ष्या को पास भी फटकने नहीं दें, आवरण से परे मूलतः के सिद्धांत का अनुसरण करें। आप स्वस्थ भी रहेंगे और सफल भी। कहते ही हैं कि जिंदगी जिंदादिली का नाम है..., तो चलिए जिंदादिली से अपने जीवन में आने वाली हर कठिनाई का डटकर मुकाबला करते हुए जिंदगी को गुलजार बनाने के नित नए रास्ते तलाशें और जोश व उम्मीदों से भरपूर जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास करें - अपने लिए, अपनों के लिए।


"याद रखें, उम्मीद कभी भी पहुंच से दूर नहीं होती....."

स्वस्थ रहें, खुश रहें ।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं ।।

कोई टिप्पणी नहीं: