- अस्सी घाट से छीना गया दो लाख का आई फोन, साहस, तकनीक और जिद से चोर के घर पहुंची अंकिता
रपट दर्ज, कार्रवाई ठप
घटना के तुरंत बाद अंकिता ने भेलूपुर थाने को सूचना दी। पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर ली, लेकिन इसके बाद जांच की रफ्तार वहीं थम गई। पीड़िता ने मोबाइल का बिल, दस्तावेज, ईएमआई नंबर और अन्य जरूरी जानकारी पुलिस को सौंप दी, बावजूद इसके पुलिस ने न तो लोकेशन ट्रेस की और न ही संदिग्ध इलाके में तलाशी ली। यह स्थिति तब है, जब प्रदेश सरकार पुलिस को अत्याधुनिक तकनीक और संसाधन उपलब्ध कराने के दावे करती है।
जब पुलिस पीछे हटी, तब पीड़िता आगे बढ़ी
पुलिस की उदासीनता से निराश होकर अंकिता ने खुद मोर्चा संभाला। सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के नाते उन्होंने मोबाइल के ईएमआई नंबर को एक एप के जरिए ट्रेस किया। मोबाइल की लोकेशन लगातार एक ही स्थान पर दिखाई देती रही। रात करीब दो बजे अंकिता खुद उस लोकेशन पर पहुंच गईं और अकेले ही वहीं डटी रहीं। पत्रकार सुरेश गांधी के हस्तक्षेप के बाद पुलिस काफी देर से मौके पर पहुंची, लेकिन न तो कमरे की तलाशी ली गई और न ही संदिग्ध को दबोचने का प्रयास किया गया। औपचारिकता पूरी कर पुलिस ने वही पुराना आश्वासन दिया और लौट गई।
सुबह बदला घटनाक्रम
मोबाइल की लोकेशन रातभर जस की तस बनी रही। मंगलवार सुबह करीब पांच बजे अंकिता दोबारा उसी जगह पहुंचीं। इस बार आसपास के लोग भी जुट गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि संदिग्ध युवक चांदपुर चौराहा, जीटी रोड स्थित मकान मालिक राजेंद्र पटेल के यहां किराये पर रहता है। जब मकान मालिक ने कमरे का ताला खुलवाया तो चोर फरार हो चुका था, लेकिन कमरे के अंदर का दृश्य चौंकाने वाला था, वहां 15 से 20 महंगे मोबाइल फोन पड़े थे। अंकिता ने मौके पर ही अपने आई फोन की पहचान कर ली।
पुलिस को दोबारा बुलाना पड़ा
पत्रकार सुरेश गांधी की सूचना पर पुलिस एक बार फिर मौके पर पहुंची और सभी मोबाइल फोन को कब्जे में लिया। सवाल यह है कि यदि रात में ही गंभीरता दिखाई जाती, तो आरोपी की गिरफ्तारी के साथ पूरे नेटवर्क का खुलासा उसी समय हो सकता था।
लंबे समय से सक्रिय था गिरोह
स्थानीय लोगों के अनुसार अस्सी घाट, दशाश्वमेध और आसपास के इलाकों में मोबाइल चोरी की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। रोजाना 4 से 6 मोबाइल चोरी की चर्चा आम है, लेकिन ठोस कार्रवाई न होने से चोरों के हौसले बुलंद थे। इस घटना ने साफ कर दिया कि यह कोई छुटपुट वारदात नहीं, बल्कि संगठित गिरोह का काम है।
पत्रकार संगठन ने उठाए सवाल
काशी पत्रकार संघ के महामंत्री जितेंद्र श्रीवास्तव ने पुलिस की भूमिका पर तीखा सवाल उठाते हुए कहा कि जब पीड़ित सटीक लोकेशन और तकनीकी साक्ष्य उपलब्ध कराए, तब भी कार्रवाई न होना बेहद गंभीर विषय है। ऐसी पुलिसिंग से अपराधियों का मनोबल बढ़ता है और आम नागरिक का भरोसा टूटता है।
पुलिस का वर्जन
पुलिस का कहना है कि बरामद मोबाइल फोन को कब्जे में ले लिया गया है। फरार आरोपी की तलाश की जा रही है और मामले में विधिक कार्रवाई की जाएगी। बरामद मोबाइलों के आधार पर अन्य पीड़ितों की पहचान भी की जाएगी।
जब सिस्टम सुस्त हो तो कैसे रुके अपराध
यह घटना सिर्फ एक मोबाइल चोरी की कहानी नहीं है, बल्कि यह बताती है कि जब सिस्टम सुस्त हो जाता है, तब एक जागरूक, शिक्षित और साहसी नागरिक किस तरह पूरे गिरोह की परतें खोल सकता है। अस्सी घाट जैसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल पर यदि पर्यटकों को खुद सुरक्षा की लड़ाई लड़नी पड़े, तो यह प्रशासन के लिए चेतावनी नहीं, बल्कि चुनौती है। फिरहाल, काशी की छवि तभी सुरक्षित रहेगी, जब कानून अपराधियों से तेज और पीड़ितों के साथ खड़ा नजर आएं.

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