वाराणसी : देवत्व के चार वर्ष : काशी विश्वनाथ धाम में गूंजा वेदस्वर, सजी शिवार्चनम् की सांस्कृतिक संध्या - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 16 दिसंबर 2025

वाराणसी : देवत्व के चार वर्ष : काशी विश्वनाथ धाम में गूंजा वेदस्वर, सजी शिवार्चनम् की सांस्कृतिक संध्या

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वाराणसी (सुरेश गांधी)। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 14 दिसंबर वह स्मरणीय दिन है, जब भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी द्वारा “श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद” के नविनीकरण उपरांत श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर का लोकार्पण किया गया था। इस ऐतिहासिक क्षण के चार वर्ष पूर्ण होने पर काशी एक बार फिर देवत्व, संस्कृति और परंपरा के आलोक में नहा उठी। लोकार्पण की चतुर्थ वर्षगांठ के उपलक्ष्य में धाम में आयोजित विशेष आयोजनों की श्रृंखला ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभूति से सराबोर कर दिया। उत्सव के द्वितीय दिवस मध्यान्ह तीन बजे मंदिर परिसर में 61 शास्त्रियों द्वारा संपन्न महारुद्र पाठ ने समूचे धाम को वैदिक स्वरों से गुंजायमान कर दिया। रुद्राभिषेक और मंत्रोच्चार के बीच धाम के नविनीकरण कार्य की सफलता, श्रद्धालुओं की सुविधा तथा काशी की सनातन आध्यात्मिक परंपरा के संरक्षण हेतु मंगलकामनाएं की गईं। मंदिर न्यास ने इस अवसर को काशी के गौरवपूर्ण विकास, सुव्यवस्थित दर्शन व्यवस्था और संस्कृति-संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया।


पूजनोपरांत सायंकाल वेला में धाम के शिवार्चनम् मंच पर भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मंदिर न्यास का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलन के साथ संपन्न हुआ। जैसे ही दीपों की ज्योति प्रज्वलित हुई, वैसे ही मंच से निकलती सुर-लय और नृत्य-भाव ने धाम को कला और भक्ति के संगम में बदल दिया। सांस्कृतिक क्रम की प्रथम कड़ी में आंध्र प्रदेश से पधारे श्री वेंकट अन्नमाचार्य सेवा ट्रस्ट की भरतनाट्यम प्रस्तुति ने शास्त्रीय अनुशासन और भक्ति रस का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत किया। इसके पश्चात सुश्री दिव्या दुबे एवं उनके सह कलाकारों के भजन गायन ने श्रोताओं को भक्ति की गहराइयों में उतार दिया। तृतीय प्रस्तुति में सुश्री दिव्या श्रीवास्तव का महिषासुरमर्दिनी नृत्य शक्ति, साहस और सौंदर्य का सशक्त रूपक बनकर उभरा। चतुर्थ क्रम में सुश्री विदुषी वर्मा एवं सह कलाकारों का भजन गायन रहा, जिसने वातावरण को पुनः भक्तिरस से भर दिया। अंत में डॉ. अर्चना महेसकर एवं उनके सह कलाकारों के सितार वादन ने रागों के माध्यम से श्रोताओं को ध्यान और तन्मयता की अवस्था में पहुंचा दिया। इस प्रकार श्री काशी विश्वनाथ धाम में लोकार्पण के चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित यह तीन दिवसीय उत्सव केवल एक समारोह भर नहीं, बल्कि काशी की आत्मा का उत्सव बन गया है। देवत्व, परंपरा और सांस्कृतिक गौरव से ओतप्रोत यह आयोजन श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों के लिए एक ऐसी अनुभूति रच रहा है, जिसमें आस्था, कला और सनातन चेतना एकाकार होकर काशी के शाश्वत स्वरूप का साक्षात्कार करा रही है।

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