समस्तीपुर : वीबी जीरामजी बिल मजदूरों के रोजगार के वैधानिक अधिकार पर हमला है : सुरेंद्र प्रसाद सिंह - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 20 दिसंबर 2025

समस्तीपुर : वीबी जीरामजी बिल मजदूरों के रोजगार के वैधानिक अधिकार पर हमला है : सुरेंद्र प्रसाद सिंह

  • कार्यकर्ता बैठक के बाद माले कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकालकर किया प्रदर्शन
  • माले कार्यकर्ताओं ने अपने दिवंगत राष्ट्रीय महासचिव का० विनोद मिश्र को याद करते हुए लगाये नारे

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ताजपुर/समस्तीपुर, 20 दिसंबर (रजनीश के झा)। भाजपा सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम-Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (मनरेगा-MGNREGA) के मूल स्वरूप को बदलने के कदम का भाकपा माले पुरजोर विरोध करेगी। यह ऐतिहासिक कानून यूपीए सरकार द्वारा वामपंथी दलों के दबाव के कारण लागू किया गया था। विकसित भारत-रोज़गार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक 2025 (वीबी-जीरामजी विधेयक-Viksit Bharat Guarantee for Rojgar and Ajeevika Mission (Gramin)- VB-G RAM G Bill 2025, जिसे मनरेगा की जगह लाने की कोशिश की जा रही है। मनरेगा एक सार्वभौमिक, मांग-आधारित कानून है जो काम का सीमित अधिकार प्रदान करता है। नया विधेयक इस स्वरूप को बदलता है और लोगों को यह सीमित अधिकार भी नहीं देता है। यह कानूनी तौर पर केंद्र सरकार को मांग के अनुसार फंड आवंटित करने की अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त करता है। सरकार का 100 से 125 दिन तक गारंटीशुदा रोज़गार बढ़ाने का दावा उसके जाने-माने जुमलों में से एक और है। यह विधेयक जॉब कार्ड को तर्कसंगत बनाने के नाम पर ग्रामीण परिवारों के बड़े हिस्सों को बाहर कर देता है। खेती के चरम मौसम के दौरान 60 दिनों तक रोज़गार का निलंबन ग्रामीण मज़दूरों को तब काम से वंचित कर देगा जब उन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होगी और उन्हें ज़मींदारों पर निर्भर बना देगा। अनिवार्य डिजिटल हाज़िरी से मज़दूरों को बहुत ज़्यादा कठिनाइयाँ होती हैं, जिसमें काम का नुकसान और उनके अधिकारों से वंचित होना शामिल है।फंडिंग के पैटर्न में बदलाव का प्रस्ताव करके, केंद्र अपनी ज़िम्मेदारी राज्यों पर डाल रहा है। इससे राज्य सरकारों पर एक असहनीय वित्तीय बोझ पड़ता है, जबकि उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं दी जाती है। राज्यों से बेरोज़गारी भत्ता और देरी के मुआवज़े का खर्च भी उठाने की उम्मीद की जाती है। इन सभी बदलावों का मकसद योजना की पहुँच को कम करना और केंद्र सरकार की जवाबदेही को कमज़ोर करना है। योजना का नाम मनरेगा से बदलकर जी-राम-जी करना महात्मा गांधी का भी अपमान है और यह बीजेपी-आरएसएस की उनकी विरासत के प्रति दुश्मनी को दर्शाता है। उक्त बातें भाकपा माले प्रखंड सचिव सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने शनिवार को रहीमाबाद एवं क़स्बे आहर लोकल कमिटी की बैठक के बाद प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने बीजेपी सरकार से तुरंत वीबी जीरामजी विधेयक वापस लेने, मनरेगा को सार्वभौम बनाकर और ज़रूरी फंड देकर इसे मज़बूत करने की मांग की।  मौके पर आसिफ होदा, मो० एजाज, चांद बाबू, राजदेव प्रसाद सिंह, महावीर सिंह, दिनेश प्रसाद सिंह, संजीव राय, मुंशीलाल राय, ललन दास, मो० शकील, शंकर महतो, अनील सिंह समेत बड़ी संख्या में माले कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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