गतांक से आगे ......
उस दौर के गवाह रहे मशहूर स्क्रिप्टराइटर सलीम ख़ान ने बड़े दार्शिनक अंदाज़ में मुझे बताया, ‘ये जो शोहरत की शराब है, इसका नशा अलग है और बहुत गहरा है। जैसे जैसे शोहरत बढ़ती है तो पैसा भी बढ़ता है तो डबल नशा है। फ़ैन्स आपको देखने के लिए पागल हो रहे हैं और प्रोड्यूसर्स पैसा लेकर आपके पीछे घूम रहे हैं। तो दो शराबें पी रहे हैं आप। ये कॉकटेल जैसा है । ये नशा ज़्यादा हो जाए तो कोई भी आदमी लड़खड़ा के गिर जाएगा।’ सलीम ख़ान के मुताबिक राजेश खन्ना की ज़िंदगी में भी अचानक इस कॉकटेल की ज़्यादती होने लगी थी।
हर फ़िल्म मैगज़ीन और अख़बार में सुपरस्टार के नए बंगले की तस्वीरें छपीं। आशीर्वाद भी राजेश खन्ना की तरह ही मशहूर हो गया था। एक तरह से ये बंबई के टूरिस्ट डिपार्टमेंट का टूरिस्ट स्पॉट बन गया था। देश भर से बंबई आने वाले लोगों की ख़ास मांग रहती कि उन्हें सुपरस्टार का बंगला दिखाया जाए। हर रोज़ उनके पास फैन्स के ऐसे हज़ारो ख़त आते, जिसमें पते के रूप में उनके नाम के साथ, सिर्फ़ आशीर्वाद, बंबई लिखा होता। इनमें राजेश खन्ना की दीवानी लड़कियों के खुश्बू से महकते ख़त भी होते थे, शादियों के प्रोपोज़ल भी और ख़ून से लिखे ऐसे ख़त भी थे, जिनके बारे में पहले भी बहुत कुछ कहा और लिखा जा चुका है। ख़तों की तादाद इतनी ज़्यादा थी कि राजेश खन्ना ने उन खतों को छांटकर, उनका जवाब देने के लिए बाक़ायदा एक शख़्स को रख लिया। ये शख्स थे प्रशांत कुमार रॉय। प्रशांत राजेश खन्ना के ऑफिस सेक्रेटरी बन गए और तकरीबन 20 साल तक आशीर्वाद में काम करते रहे। प्रशांत ने मुझे बताया, ‘फैन मेल का ढेर लग जाता था हर दिन। काका जी अक्सर आते थे और पूछते थे कि प्रशांत आज सबसे अच्छे ख़त कौन से चुने? वो ज़ोर ज़ोर से ख़त पढ़ते थे और हमारी तरफ़ देखकर मुस्कुराते थे। वो फैन्स के जज़्बात देखकर हैरान हो जाते थे और हंसते हुए पंजाबी में कहते-‘हुँण की करां? इधर से लोग...उधर से लोग, ख़ून दे लेटर...मैं क्या करूं? ऐ की हो गया?’ मैंने ख़ुद देखा है कि हर रोज़ 2-3 ख़त खून से लिखे हुए भी होते थे। ख़तों के जवाब में काकाजी के ऑटोग्राफ़ वाली तस्वीरें भेजने की ज़िम्मेदारी भी मेरी ही थी।’
लड़कियों में उनकी फ़ैन फॉलोइंग की गवाह रहीं एक मशहूर पत्रकार ने राजेश खन्ना के लिए उठे हिस्टीरिया की तुलना जंगल की आग से की। राजेश के लिए फैन्स की दीवानगी पिछली पीढ़ियों की हर मिसाल से आगे बढ़ गई थी। रातों में राजेश खन्ना का ज़िक्र किया जाता, महिलाओं की किटी पार्टी में, बुजुर्ग औरतों के कीर्तन में और नवयुवतियों के सपनों में किसी ना किसी तरह उनके होने का अहसास बराबर होता था। वो जैसे हर सोच, हर पूर्वाग्रह, हर वर्ग के पार चले गए थे।
राजेश खन्ना इतनी तेज़ी से ऊपर गए कि ज़िंदगी की लगाम उन्हें अपने हाथों से छूटती महसूस होने लगी। एक सुपर स्टार की ज़िंदगी सिर्फ उसकी अपनी नहीं रहती, कुछ हद तक उसके फैन्स की भी हो जाती है। वो सुपर स्टारडम के गहरे नशे की गिरफ़्त में भी आ चुके थे। वक़्त के साथ क़दम से क़दम मिलाने के लिए उन्होने शराब से दोस्ती कर ली। कामयाबी का ये सुरूर के साथ महंगी शराब के नशा अब राजेश की शामों का साथी बनता जा रहा था। हर शाम को राजेश खन्ना के बंगले आशीर्वाद में ‘खन्ना दरबार’ सजाया जाता। इस दरबार में सुपर स्टारडम के साथ उनकी ज़िंदगी में आए ‘नए दोस्त’ और ‘चमचे’ बैठक जमाते थे। शराब की चुस्कियों के साथ राजेश खन्ना की तारीफ शुरू होती जो देर रात तक चलती रहती। यहां उनका हर शब्द हुक़्म था और उसे मानना उनके इन ‘चमचों’ का फर्ज़। जी-हुज़ूरी करने वाले यही लोग धीरे-धीरे उन्हे हक़ीक़त से किस क़दर दूर ले गए, इसका अंदाज़ा शायद राजेश को उस समय बिलकुल नहीं हुआ। लेकिन उनके क़रीबी लोग खासतौर से अंजू सब देखती थीं। उनकी ज़िंदगी में भी बदलाव आया था। फिल्म इंडस्ट्री और मीडिया की नज़र में वो सिर्फ़ सुपर स्टार की गर्लफ्रेंड थीं। लेकिन इसका कोई फायदा अंजु के फिल्मी करियर को नहीं मिला। राजेश अपने करियर और ‘चमचों’ में व्यस्त हुए तो अंजु ने भी दोस्तों और पार्टियों में समय काटना शुरू कर दिया ।
उस वक़्त के बारे में अंजू ने बाद में एक इंटरव्यू में बताया, ‘वो मुझ पर इल्ज़ाम लगाते थे कि मुझे अपनी पार्टियों और दोस्तों से फुर्सत नहीं । लेकिन जब भी मैं उनसे मिलने जाती थी, वो अपने चमचों से घिरे रहते थे। मैंने उनसे कहा कि मुझे प्रायवेसी चाहिए। कम से कम जब मैं उनसे मिलने आऊं उस समय तो वो अपने चमचों को दूर रखें। लेकिन वो चमचे हमेशा उन्हे घेरे रहते थे । दरअसल राजेश को उन लोगों की ज़रूरत थी...’
------जारी

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