कविता : बेटे तो धन दौलत के लोभी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 1 सितंबर 2022

कविता : बेटे तो धन दौलत के लोभी

बेटे धन दौलत के लोभी, बेटी सुख-दुःख की साथी,


फिर क्यों नही ये बात समझ में आती।।


बेटे तो मां-बाप की दौलत के आगे-पीछे भागे,


सदा रहे खुशहाल मां-बाप, बेटी यही दुआ मांगे।।


बेटी होती घर की रौनक,


समाज कहां समझता यह बातें,


बेटी को कोई समझ न पाते,


बेटी हो तो मार डालते।।


बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ,


समाज न समझे यह बातें।।


 

दीक्षा बोरा
दीक्षा बोरा

पिंगलो, गरुड़

बागेश्वर, उत्तराखंड 

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