कविता : मैं हूँ प्रश्नों की ज्वाला - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 18 मई 2025

कविता : मैं हूँ प्रश्नों की ज्वाला

संदेह मेरा स्वभाव है,

सत्य को परखता मनभाव है,

शून्य से पूछूँ हर एक सवाल,

क्या है जीवन? क्या है काल?

स्वतंत्र विचार मेरी रीति,

न बंधन, न कोई नीति,

जो सोचूं, वही मैं कहूं,

भीड़ से अलग, खुद में रहूं,

न स्वर्ग की है मुझे कोई आशा,

न नरक की है मुझ में कोई छाया,

मैं खुद ही अपना सत्य बनाऊं,

अंधविश्वासों से मुक्त हो जाऊं।।




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दीपिका कुमारी बामणिया

जैसलमेर, राजस्थान

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