आरएसएस ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने के बजाय अंग्रेजों की मदद की : हिमांशु कुमार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 11 जुलाई 2017

आरएसएस ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने के बजाय अंग्रेजों की मदद की : हिमांशु कुमार

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) भारत का अतीत बहुत काला है। हिन्दू गौरव की पुनर्स्थापना के लिए प्रयत्नशील आरएसएस-बीजेपी के लोग अतीत का झूठा गौरवगान करते हैं। आरएसएस ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने के बजाय अंग्रेजों की मदद की। सुभाष चन्द्र बोस के आजाद हिंद फौज के खिलाफ आरएसएस ने हिंदुओं को अंग्रेजी फौज में भर्ती करायी थी। आरएसएस ने आजादी के बाद गांधी की हत्या की थी। जोहार (एलआईसी काॅलोनी) दुमका में दिन सोमवार (10 जुलाई 2017) को साम्प्रदायिकता और जल, जंगल, जमीन की लूट के खिलाफ लोकतंत्र व जल जंगल जमीन बचाने के सवाल पर हुए महजुटान कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ से दुमका पहुँचे मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने उपरोक्त बातें कही। मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने कहा कि देश को समानता की दिशा में जाने से रोकने के लिए नफरत फैलाने की राजनीति शुरू की गई है। आरएसएस अपने स्कूलों के माध्यम से नई पीढ़ी के दिमाग में जहर भर रहा है। भारत की जड़ अन्याय की नींव पर टिकी हुई है। यहां काम करने वाला नीच और काम नहीं करने वाला उच्च माना जाता है। अन्याय से भटकाने के लिए भारत के नौजवानों का ध्यान पाकिस्तान की तरफ केंद्रित कर दिया गया है। देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक अन्याय से युवाओं का ध्यान चालाकी से पाकिस्तान की ओर मोड़ दिया गया है। आज विकास का मतलब हो गया है गरीब से ले लो और अमीरों को दे दो। गरीबों की जमीन उद्योगपतियों के हवाले किया जा रहा है। जमीन का मालिक अपनी जमीन देने से इनकार करता है तो उसे लाठी-गोली और जेल मिलती है। सबसे ज्यादा पारा मिलिट्री फोर्स छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा व पश्चिम बंगाल में तैनात कर दिया गया है। यह आदिवासियों की रक्षा के लिए नहीं बल्कि उनकी जमीन पर कब्जे के लिए की गई है। यह एक किस्म का गृहयुद्ध है। सत्ता ने आदिवासियों के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है। गाय, गौमाता व देशभक्ति का राग अलापा जा रहा है। देश में जितने कत्लखाने हैं, जिनमें गायें कटती हैं, वे सभी बीजेपी नेताओं के ही हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बल आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार कर रहे हैं। रेडक्रॉस सोसाइटी को छत्तीसगढ़ के जेलों में जाने की इजाजत तक नहीं है। निर्दोष आदिवासियों को मारने और जेलों में डालने वाले पुलिस अफसरों को सरकार इनाम दे रही है, जबकि न्याय की भावना से काम करने वाले सुकमा के दलित जज को डिसमिस कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध आदिवासी कार्यकर्ता सोनी सौरी के साथ हुए बर्बर व शर्मनाक दमन का जिक्र करते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने कहा कि इस हरकत को अंजाम देने वाले एसपी को राष्ट्रपति पुरस्कार दिया जाता है और पिछले सात वर्ष में सुप्रीम कोर्ट तक इस शर्मनाक मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि सत्ता ने आज आदिवासियों की सुरक्षा व सम्मान के साथ जीने के तमाम रास्ते बंद कर दिए हैं। आदिवासियों के साथ न तो कोई सरकार खड़ी है और न ही न्यायालय व मीडिया ही खड़ी है। आदिवासियों का भविष्य उनके अपने ही हाथ में है। पूरे देश में आदिवासी आज बंटे हुए हैं। इन्हें अपने भविष्य के लिए एकसाथ आना होगा। 


महाजुटान को संबोधित करते हुए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष मोहित कुमार पाण्डेय ने कहा कि भगवा झंडा मुल्क को बांटने की कोशिश कर रहा है। महाजुटान को संबोधित करते हुए बिहार के नवादा से दुमका पहुँचे नौशाद जुबेर मलिक ने कहा कि झारखण्ड बनने का फायदा यहां के आम आदमी को नहीं मिल पाया है। झारखण्ड के खनिज संपदा पर कॉरपोरेट घरानों की नजर है। ये कॉरपोरेट घराने राजनीतिक पार्टियों को मोटी रकम चंदे के रूप में देते हैं और बदले में ये पार्टियां कॉरपोरेटों की सेवा करती हैं। आगे उन्होंने कहा कि जनता के बुनियादी सवालों से भागते हुए सत्ता संरक्षित आतंकवाद आज चरम पर है। समाज में साम्प्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है। देश में सड़कों पर फैसला करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जा रहा है। न्यायालय, पुलिस के औचित्य पर सवालिया निशान लगा दिया है। जेएनयू के छात्र सादत हसन ने कहा कि देश के लोकतंत्र पर ब्राह्मणवादी शक्तियों का कब्जा है। आदिवासी, दलित व अल्पसंख्यकों की जगह जेलों में बना दी गई है। आज जनसंख्या अनुपात से ज्यादा फीसदी की संख्या में दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यकों को जेलों में डाल दिया गया है। न्यायालयों से भी इन्हें इंसाफ नहीं मिल पा रहा है। जल, जंगल, जमीन को बचाने की लड़ाई लड़ने वालों को विकास विरोधी ठहराकर उनकी आवाज को दबाया जा रहा है। पूरे देश में आदिवासी, दलित व अल्पसंख्यक पर हमला कर उन्हें खौफजदा करने की कोशिश चल रही है। यह डर पैदा करने का षड्यंत्र है, हमें इस डर पैदा करने के षड्यंत्र के खिलाफ अपने हक-अधिकार के लिए निर्भिकता के साथ एकजुट खड़ा होना होगा। सभा का संचालन जेएनयू के छात्र नेता बीरेंद्र कुमार ने और आभार ज्ञापन अनुराग ने किया। महाजुटान को सुरेंद्र मोहली, मुन्ना बड़ाइक, रंजीत कुमार, डॉ मुकेश कुमार, टी प्रवीण, श्यामदेव, मनमीत, मोहन मुर्मू, विक्रम कुमार, रामचन्द्र मांझी, मुकर्रम अंसारी सहित अन्य ने संबोधित किया। उक्त अवसर पर झारखण्ड के विभिन्न जिलों से सैकड़ों लोग उपस्थित हुए।

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